मन्या सुर्वे, जिसके नाम से कांपता था दाऊद इब्राहिम

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 21, 2023 03:07 PM2023-06-21T15:07:53+5:302023-06-21T15:17:51+5:30

भगोड़ा आतंकी दाऊद इब्राहिम मुंबई में केवल एक शख्स से खौफ खाता था। उनका नाम था मनोहर अर्जुन सुर्वे, जिसे मुंबई पुलिस की डायरी में मन्या सुर्वे लिखा जाता था क्योंकि अपराध जगत में हर कोई उसे मन्या के नाम से बुलाता था।

Manya Surve, whose name used to tremble Dawood Ibrahimm | मन्या सुर्वे, जिसके नाम से कांपता था दाऊद इब्राहिम

मन्या सुर्वे, जिसके नाम से कांपता था दाऊद इब्राहिम

Highlightsदाऊद मुंबई में एक शख्स के नाम सुनते ही पत्ते की तरह कांपता था, उसका नाम था मन्या सुर्वेदाऊद हर वक्त मन्या को मारने के फिराक में रहता था क्योंकि उसने दाऊद के भाई का किया था कत्ललेकिन सच्चाई तो यह थी दाऊद की कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि वो मन्या से सीधी टक्कर ले सके

मुंबई: बॉम्बे यानी आज का मुंबई शहर, इसे सपनों का शहर कहते हैं, इसे मायानगरी कहते हैं क्योंकि यहां पर फिल्मी सितारों का आशियाना है लेकिन इसी शहर ने देश को दिया सबसे कुख्यात भगोड़ा आतंकी, जिसका नाम है दाऊद इब्राहिम कासकर। दाऊद 80 के दशक में बॉम्बे का सबसे खतरनाक गुंडा हुआ करता था, जिसे मुंबईया भाषा में 'भाई' कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वही दाऊद उसी मुंबई शहर में एक शख्स के नाम से पत्ते की तरह कांपता था।

दाऊद को उस शख्स से इतना खौफ खाता था कि वो हर वक्त उसे मारने के फिराक में रहता था। जी हां, ये बिल्कुल सच बात थी और उस शख्स का नाम था मन्या सुर्वे। साल 1986 में दुबई भागने से पहले दाऊद ने मन्या को ठिकाने लगाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन सच्चाई तो यह है मुंबई में रहते हुए दाऊद की कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि वो मन्या से सीधी टक्कर ले सके।

दाऊद इब्राहिम का खौफनाक दुश्मन मन्या सुर्वे

कहते हैं कि दाऊद ने पुलिस के जरिये मन्या सुर्वे का एनकाउंटर करवा दिया क्योंकि उसने दाऊद के बड़े भाई शब्बीर इब्राहिम कासकर को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। जिसने अपराध की दुनिया में डी कंपनी की बुनियाद रखी थी। दाऊद के सबसे खौफनाक दुश्मनों में से एक मनोहर अर्जुन सुर्वे।

मुंबई पुलिस की डायरी में उसका नाम मन्या सुर्वे लिखा था क्योंकि अपराध जगत में हर कोई उसे मन्या के नाम से बुलाता था। मन्या सुर्वे के साथ अपराध जगत में एक साथ दो इत्तेफाक जुड़ते हैं, पहला यह कि मन्या जिस पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उसे मुंबई ही नहीं देश का पहला पुलिस एनकाउंटर कहा जाता है। वहीं दूसरी इत्तेफाक यह था कि मुंबई के पहले एनकाउंटर में मारा गया मन्या अंडरवर्ल्ड की काली दुनिया का पहला ग्रेजुएट डॉन था।

मुंबई अंडरवर्ल्ड के खूनी पन्नों में दर्ज मन्या सुर्वे के अपराध की फेहरिशत ऐसी है, जिसे जानने और सुनने के बाद हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मन्या का किस्सा उस मुंबई शहर से शुरू होता है, जहां दिन-रात, सुबह-शाम, हर पल हर लम्हा जिंदगी दौड़ती रहती है। मुंबई में थमने और रुकने के लिए किसी के पास वक्त नहीं है। मुंबई के बारे में एक और किस्सा कहा जाता है कि जो भी इसकी आगोश में आया, इसी शहर का हो लिया।

दाऊद और मन्या रत्नागिरी के रहने वाले थे

मन्या सुर्वे का किस्सा भी कुछ ऐसा ही है। उसका जन्म साल 1944 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कोकण क्षेत्र के रंपर गांव में हुआ था। मन्या के मां-बाबा कमाने के लिए मुंबई आ गये और उसके बाद से मन्या सुर्वे हो गया मुंबईकर यानी मुंबई का बाशिंदा। दाऊद से जुड़े मन्या के इस किस्से में एक और बात बेहद दिलचस्प है मन्या का जानी दुश्मन दाऊद इब्राहिम कासकर भी उसी रत्नागिरी जिले का ही रहने वाला था। जहां मन्या पैदा हुआ था।

मुंबई के कीर्ति कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाला मन्या 60 के दशक में तो सही रास्ते पर था लेकिन उसके लक्षण तब खराब होने शुरू हुए जब उसे खराब सोहबत मिली सौतेले भाई भार्गव दादा और उसके दोस्त सुमेश देसाई की। उन दिनों भार्गव दादर इलाके का छोटा-मोटा मवाली हुआ करता था लेकिन उसके साथ अपराध की ट्रेनिंग ले रहा मन्या उससे कहीं ज्यादा खतरनाक और शातिर था। ऐसा माना जाता है कि मन्या ग्रेजुएट था तो उसमें अपराध के तरीके के बारे में सोचने और प्लानिंग करने की सलाहियत भार्गव से ज्यादा थी।

भार्गव अपनी गुंडई का सिक्का दादर में चलाकर खामोश था लेकिन मन्या की नजर पूरे मुंबई अंडरवर्ल्ड पर थी। ठीक उसी तरह से जैसे फिल्म 'सत्या' के रूप में मनोज वाजपेयी समुंदर से चीखकर कहता है, "मुंबई का किंग कौन?... भीखू म्हात्रे" लेकिन मजे की बात ये है कि अपराध के असल दलदल में मन्या सुर्वे को पहले ही कल्त में आजीवन कारावास की सजा हो गई थी। 

मन्या को पहले कत्ल के आरोप में ही हुई थी आजीवन कारावास

ये वाकया है साल 1969 का था। मन्या के सौतेले भाई भार्गव के साथ दांदेकर नाम के एक शख्स की अदावत चल रही थी। भार्गव, मन्या और दांदेकर के बीच दादर में टक्कर हो गई और उसी समय मन्या के हाथ दांदेकर के खून से रंग गये। कहा जाता है कि मन्या हर वक्त अपने पास एसिड बॉटल्स रखता था। उस जमाने में पिस्टल और रिवाल्वर का चलन आज की तरह नहीं था वहीं पुलिस के पास भी थ्री नॉट थ्री की राइफल हुआ करती थी। 

खैर, हत्या के कुछ ही दिनों के बाद मान्या को पुलिस ने पकड़ा और साल 1975 में कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा दे दी। कोर्ट के आदेश पर मन्या को सजा काटने के लिए पुणे की यारवदा जेल भेज दिया गया। जेल पहुंचते ही मन्या की टक्कर सुहास भटकर के चेलों से हो गई। मन्या अक्सर जेल के बैरक में भटकर के चेलों को पीटने लगता। जेल वॉर्डन पगली घंटी बजाते-बजाते थक चुके थे। जेल के सिपाही मन्या की रोज के झगड़े-फसाद से तंग आ चुके थे। 

लेकिन मन्या के हाथों में दांदेकर का खून लगा चुका था, वो कहां मानने वाला था। अक्सर ही वो बात-बेबात सुहास भटकर के चमचों को पिटता रहता था। अंत में तंग आकर जेल प्रशासन ने उसे रत्नागिरी जेल में शिफ्ट कर दिया। जहां पहुंचने ही उसने नया नाटक शुरू कर दिया। मन्या ने जेल में खान-पीना छोड़ दिया। धीरे-धीरे मन्या की तबियत खराब होने लगी। जेल अधिकारियों ने उसे रत्नागिरी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 14 नवम्बर 1979 को मन्या ने पहरे पर तैनात सिपाहियों की आंख में धूल झोंका और फरार हो गया।

मन्या ने जेल से फरारी के बाद लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी से लूटे 5700 रुपये 

 मन्या फरार होने के बाद सीधे मुंबई पहुंचा, जहां उसने गुनाह की दुनिया में पहला कदम रखा था। फरार मन्या अब पहले भी ज्यादा खतरनाक हो गया था। सुर्वे ने अपना गैंग बनाया और उसमें धारावी के बदमाश शेख मुनीर और डोम्बिवली के गुंडे विष्णु पाटिल को शामिल किया। दादर, धारावी और डोम्बिवली में यह बात फैल चुकी थी मन्या जेल से फरार होकर मुंबई में दाखिल हो चुका है। कई जगहों से मन्या ने बाकायदा हफ्ता वसूली भी शुरू कर दी।

बेखौफ मन्या ने 5 अप्रैल 1980 को दादर से एक एम्बेसडर कार चोरी की और उसी कार से जाकर लक्ष्मी ट्रेडिंग कंपनी में 5700 रुपये लूट लिये। उस जमाने में 5700 रुपये बहुत बड़ी रकम थी। पुलिस लूट के मामले को समझ पाती कि 15 अप्रैल को मन्या ने अपने साथी शेख मुनीर के दुश्मन शेख अजीज की हत्या कर दी। मन्या कितना खूंखार हो चुका था इसका अंदाजा आप इसी बात से लग सकता है कि अजीज की हत्या के ठीक 15 दिन बाद यानी 30 अप्रैल को उसने दादर पुलिस स्टेशन में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल को छुरा मार दिया।

मन्या सुर्वे के अपराध से मुंबई पुलिस की डायरी के पन्ने बेहद तेजी से भरते जा रहे थे और वो पुलिस के लिए लगातार सिरदर्द बनता जा रहा था। दूसरी तरफ मुंबई के अपराध की काली दुनिया में डी कंपनी भी तेजी से उभर रही थी। मुंबई पुलिस के हवलदार का बेटा दाऊद इब्राहिम  अपने भाई शब्बीर के साथ स्मगलिंग, जुआ, हफ्ता वसूली के अलावा ठेके पर कत्ल कराने के काम में कुख्यात हो चुका था। सुर्वे को लगता था कि दाऊद परिवार के रहते वो मुंबई पर अपना सिक्का नहीं जमा सकता है।

मन्या ने दाऊद की कमर तोड़ने के लिए मार दिया शब्बीर कासकर को  

सुर्वे ने तय किया वो दाऊद गिरोह की कमर तोड़ने के लिए शब्बीर को ठिकाने लगाएगा। 12 फरवरी 1981 की शाम दाऊद का भाई शब्बीर इस बात से बेखबर की मन्या उसे मौत की नींद सुलाने के लिए निकल चुका है, वो चौपाटी की रेत पर अपनी प्रेमिका चित्रा के साथ प्यार की बातें कर रहा था। शब्बीर प्रेमिका चित्रा के साथ लिए चौपटी से उठा और बांद्रा से होते हुए पेडर रोड पहुंचा।

तभी शब्बीर को एहसास हुआ कि उसकी गाड़ी का तेल खत्म हो गया है। शब्बीर ने पेट्रोल लेने के लिए सिद्धि विनायक के पास वाले पेट्रोल पंप का रूख किया। शब्बीर की कार सिद्धि विनायक से पहले थोड़ी धीमी हुई। रात में लगभग एक बजे रहे थे, प्रभादेवी पेट्रोल पंप पर उसकी गाड़ी को एक अंबेसेडर कार पीछे से अवरटेक करती है।

खतरे के समझते हुए शब्बीर ने गाड़ी में रखी गन उठाने की कोशिश की लेकिन तब तक मन्या सुर्वे ने उसकी गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सुर्वे की रिवाल्वर से निकलीं सारी की सारी गोलियां कार को चीरती हुई शब्बीर के बदन को छलनी कर गई। मन्या ने कुल नौ गोलियां शब्बीर के बदन में उतार दी। लेकिन सब्बीर तब भी नहीं मरा। मान्या ने गन फेंकी और रामपुरी चाकू निकाला। शब्बीर के गोली से छलनी शरीर पर उसने चाकू से ताबड़तोड़ कई वार किये। दाऊद का भाई शब्बीर मौके पर ही हमेशा के लिए खामोश हो गया।

दाऊद ने शब्बीर की लाश पर खाई मन्या को खत्म करने की 

रात में पूरी डी गैंग  प्रभादेवी पेट्रोल पंप पर पहुंचा और लगभग 2 बजे दाऊद ने शब्बीर की लाश पर कसम खाई कि वो इस हत्या के लिए मन्या को नहीं छोड़ेगा। उसके आदमियों ने मन्या के अड्डों पर हमला कर दिया। दाऊद ने बहुत तलाश की लेकिन मन्या का कहीं पता नहीं चल पा रहा था। शब्बीर को मारने वाले मन्या को ठिकाने लगाने के लिए दाऊद प्लान बनाने लगा। दाऊद के दिमाग़ में बस एक ही बात चल रही थी और वो था भाई शब्बीर के कत्ल के इंतकाम।

वहीं शब्बीर की हत्या के कारण मुंबई पुलिस की खूब किरकिरी हुई। दाऊद की मुंबई पुलिस में अच्छी पैठ थी। खुद उसके पिता इब्राहिम कासकर मुंबई पुलिस में सिपाही थे। सीधे तौर पर सबको पता था कि मन्या सुर्वे ने इस हत्या को अंजाम दिया है लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा था। इस बीच दाऊद इब्राहिम ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले से मुलाकात की। कहते हैं सीएम रहमान ने भी दाऊद के भाई की हत्या पर अफसोस जताया और शब्बीर के हत्यारों को सजा दिलाने की बात कही।

मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले भी दाऊद और मन्या की तरह महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र से आते थे। दाऊद से मुलाकात के बाद सीएम अंतुले ने फौरन मुंबई पुलिस के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जूलियो रिबेरो को बुलाया और मन्या सुर्वे के बारे में सख्त एक्शन लेने के लिए कहा। सीएम का आदेश मिलते ही जूलियो रिबेरो ने एक स्पेशल सेल बनाया। जिसे पहला टार्गेट मन्या सुर्वे था।  इस स्पेशल सेल में सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर यशवंत भिड़े, राजा तंबत, संजय परांडे, इसाक बागवान जैसे कई तेज-तर्रार पुलिस अफसर थे।

शब्बीर की तरह मन्या भी मारा गया मोहब्बत जैसी लाइलाज बीमारी के कारण

अब मन्या की अंतिम गिनती शुरू हो गई थी लेकिन मन्या इस बात से बेफिक्र दूसरी ही दुनिया में खोया हुआ था। जी हां, कुख्यात अपराधी मन्या सुर्वे को मोहब्बत जैसी लाइलाज बीमारी हो गई थी और यही मोहब्बत आगे चलकर मन्या के मौत का सबब उसी तरह से बनी, जैसे शब्बीर कासकर मारा गया था।

मुंबई पुलिस का टारगेट नंबर वन मान्या सुर्वे अक्सर वडाला के अंबेडकर कॉलेज के पास एक लड़की से मिलने के लिए जाता था। पुलिस की स्पेशल सेल को भी इस बात की जानकारी मिली। पुलिस की टीम इसी सूराग पर काम कर ही रही थी कि 11 जनवरी 1982 को उसे मुखबिरों से पता चला कि मन्या सुबह में 10:30 बजे वडाला के अंबेडकर कॉलेज आने वाला है।

मुखबिरों की पक्की सूचना पर पुलिस की स्पेशल टीम वडाला के अंबेडकर कॉलेज के आसपास फैल गई। तकरीबन 10:35 बजे एक लड़की बस स्टॉप पर आकर खड़ी होती है। मुखबीरों के सूचना के मुताबिक वो लड़की मन्या की प्रेमिका थी। लड़की को पहचानने के बाद पुलिस सधी हुई निगाहों से मन्या का इंतजार करने लगी। करीब 10:45 बजे मन्या एक टैक्सी उतरता है, पुलिस मन्या को पहचान लेती है। पुलिस अफसर यशवंत भिड़े ने इशारा दिया और टीम के लोग उसके करीब जाने लगे।

मन्या ने रिवाल्वर निकाली लेकिन चला नहीं पाया 

तभी मन्या को भी एहसास हो गया कि उसके करीब कुछ अजनबी लोग बढ़ रहे हैं। उसने जुराब में रखे रिवाल्वर को जैसे ही बाहर निकाला। राजा तंबत और इसाक बागवान ने सीधे मन्या पर फायर झोंक दिया। बागवान की गोली ने मन्या का सीना छलनी कर दिया। वहीं तंबत की रिवाल्वर से चली दो गोलियां मान्या के शरीर में दाखिल हो चुकी थीं।

उसके बाद भी मन्या ने एक एसिड बॉटल निकाली और पुलिस की फेंकना चाहा लेकिन शरीर में ताकत नहीं बची थी कि वो बॉटल पुलिस पर फेंक सके। नतीजा यह हुआ कि एसिड की बॉटल मन्या के घायल जिस्म के पास गिर गई। गोली से तड़प रहे मन्या का शरीर एसिड से भी बुरी तरह से झुलस गया।

पुलिस ने उसे कब्जे में लिया और गाड़ी में डालकर सायन के लोकमान्य तिलक अस्पताल में ले गई। डॉक्टर ने उसे मुर्दा करार दिया। मन्या सुर्वे भी दाऊद के भाई शब्बीर की तरह मोहब्बत के चक्कर में मारा गया। कहते हैं कि मुंबई पुलिस को मन्या सुर्वे की मुखबिरी किसी और ने नहीं बल्कि खुद दाऊद इब्राहिम ने की थी।

Web Title: Manya Surve, whose name used to tremble Dawood Ibrahimm

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