Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 12 राज्यों की 88 सीटों पर 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटें भी हैं। इन 8 सीटों में से 7 पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बीते लोकसभा चुनाव में जीती थी, जबकि अमरोहा सीट बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कुंवर दनिश अली चुनाव जीते थे, जो इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यूपी की इन आठ सीटों में से कई सीटों पर त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला हो रहा है, जबकि बुलंदशहर, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर सीट भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर हो रही है।
फिलहाल दूसरे चरण की आठ सीटों पर अब चुनाव प्रचार थम गया है। अब पश्चिम उत्तर प्रदेश में 26 अप्रैल को जिन आठ सीटों पर मतदान होना है, उन सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के सियासी कौशल की परीक्षा तो होगी ही, पर असली परीक्षा सत्ताधारी होने के नाते भाजपा के प्रदेश संगठन और सहयोगी दल के प्रमुख चेहरों की होगी। इसके साथ ही बड़े जाट चेहरे के तौर पर भाजपा के प्रमुख सहयोगी राष्ट्रीय (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी के प्रभाव की भी परीक्षा होगी। यही नहीं यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने के लक्ष्य से साथ चुनाव मैदान में उतारे पीएम नरेंद्र मोदी और सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए भी यह दूसरा चरण बेहद ही चुनौतीपूर्ण है। भाजपा के इन दोनों नेताओं के सामने जाट लैंड की कठिन सियासी जमीन पर फिर से सात सीटों पर कमल खिलाने को एक बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
जयंत और भूपेंद्र की साख भी कसौटी पर
कहा यह भी जा रहा है कि दूसरे चरण में पश्चिम यूपी (जाटलैंड) की आठ सभी सीटों पर एनडीए के साझीदार के तौर रालोद प्रमुख जयंत चौधरी की साख का भी इम्तहान होगा। पश्चिम यूपी में शामिल ढाई दर्जन सीटों में से रालोद कोटे में भले ही बिजनौर और बागपत सीट हो, लेकिन रालोद प्रमुख जयंत की साख की परीक्षा जाटलैंड की सभी 25 सीटों पर होनी है। भाजपा ने इस सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए ही जयंत को साथ में लिया है। इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और धर्मपाल के भी राजनीतिक कौशल की परीक्षा दूसरे चरण में होनी है। मुरादाबाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का गृह जिला है। वह लंबे सामी से इस क्षेत्र की चुनावी तैयारियों पर फोकस किए हुए हैं। पार्टी के महामंत्री (संगठन) धर्मपाल जो बिजनौर के रहने वाले हैं, भी पश्चिम यूपी की सियासत को साधते रहे हैं। पिछड़ा वोट बैंक के साथ ही जाटलैंड की सियासत को साधने के उद्देश्य से ही इस क्षेत्र में इन दोनों पदाधिकारियों को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई थी इसलिए इनके साख की भी इस दूसरे चरण में परीक्षा है।
दूसरे चरण में इस सीटों पर होना है मतदान
दूसरे चरण में 26 अप्रैल को अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में मतदान होना है। इनमें से अमरोहा सीट ही साल 2019 में भाजपा हारी थी। बाकी की सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीते थे. इस बार दूसरे चरण की आठ सीटों में से सात सीट पर भाजपा चुनाव लड़ रही है, जबकि बागपत सीट पर रालोद चुनाव लड़ रही है। वहीं, इंडिया गठबंधन में चार सीटों पर सपा और चार सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस गाजियाबाद, मथुरा, बुलंदशहर, अमरोहा सीट पर चुनाव लड़ रही, जबकि सपा नोएडा, अलीगढ़, बागपत और मेरठ सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. इस तरह इंडिया गठबंधन में सपा और कांग्रेस की बराबर की साख दांव पर दूसरे चरण में लगी हुई है।