सीधे अपने नियंत्रण वाले अर्धसैनिक बलों के 10 लाख से अधिक जवानों के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं. उनकी नजर अपने अधीन आने वाले आठ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) पर टिकी है जो देशभर में आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है. करीब 4 लाख जवानों के साथ यह बल आठ अर्धसैनिक बलों में सबसे बड़ा है.
शाह चाहते हैं कि सीआरपीएफ के जवान 45 वर्ष की उम्र तक ऑपरेशन में चुस्त-दुरुस्त रहकर मजबूत बल का परिचय दें. अर्धसैनिक बलों में कई सुधार को अमलीजामा पहनाने वाले शाह सीआरपीएफ को आदर्श बल बनाना चाहते हैं. देश में विशिष्ट कार्यों के लिए असम राइफल्स, स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, सीमा सुरक्षा बल, सीमा सशस्त्र बल, आईटीबीपी और औद्योगिक इकाइयों और प्रतिष्ठानों के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल है.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) मजबूत कमांडो बल है, जिसे कुछ लोगों की व्यक्तिगत सुरक्षा की जिम्मेदारी भी है. चूंकि सीआरपीएफ के अधिकतर जवान जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर के राज्यों और अन्य जगहों पर तैनात हैं जहां अशांति होती है. ऐसे में शाह 45 साल उम्र के बाद उनकी सक्रिय सेवा में कटौती चाहते हैं. पुराने रैंकों को कहीं और तैनात किया जा सकता है. हालांकि उन्होंने अगले साल तक अर्धसैनिक बलों में बड़े सुधारों का संकेत दिया था, लेकिन सीआरपीएफ के बारे में कुछ खास नहीं कहा था.
उम्र सीमा का खाका तैयार करने के लिए आंतरिक समिति :
सीआरपीएफ ने उम्र सीमा का खाका तैयार करने के लिए अधिकारियों की एक आंतरिक समिति का गठन किया है. इस उम्र सीमा के बाद जवानों को इसी बल में अपेक्षाकृत स्थिर ड्यूटी में या कम दबाव वाले केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अथवा केंद्र शासित प्रदेश में ट्रैफिक ड्यूटी में स्थानांतरित किया जा सकता है. यह समिति पता लगाएगी कि स्थिर ड्यूटी क्या हैं. इस मामले की जानकारी रखने वालों का कहना है कि गृह मंत्रालय 45 साल के ऊपर के जवानों को शांत ड्यूटी में तैनात करने पर विचार कर रहा है. यदि केंद्रीय गृह मंत्रालय और मंत्रिमंडल योजना को हरी झंडी दे देता है, तो नई भर्ती नियम बदल जाएंगे.