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विशाला शर्मा का ब्लॉग: सत्य, प्रेम और करुणा के अधिष्ठाता गुरु नानक देव

By विशाला शर्मा | Published: November 08, 2022 12:21 PM

गुरु नानक देव की वाणी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का अमृत मंथन है, जिसके माध्यम से उन्होंने नवीन एवं अनूठा धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दर्शन विश्व को प्रदान किया।

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ठळक मुद्देनिर्गुण ब्रह्म के उपासक गुरु नानक देव जी प्रत्येक व्यक्ति को सही धर्म का स्वरूप बताना चाहते थेगुरु नानक देव ने देशाटन और सत्संग के माध्यम से ज्ञान में वृद्धि करने का सिद्धांत प्रतिपादित कियागुरु नानक देव जी चिंतामुक्त रहकर कर्म करने हेतु सभी को प्रेरित करते हैं ‘नानक चिंता मत करो’

असहिष्णुता, अहंकार एवं नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मकता का दीप प्रज्ज्वलित करने वाले संत परंपरा के दैदीप्यमान नक्षत्र, सत्य, प्रेम और करुणा के अधिष्ठाता सिखों के प्रथम गुरु नानक देव के अमृत संदेशों को गहरे तक जानने और जीवन का अंग बनाने की आवश्यकता है। गुरु नानक देव की वाणी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का अमृत मंथन है, जिसके माध्यम से उन्होंने नवीन एवं अनूठा धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दर्शन विश्व को प्रदान किया।

गुरु नानक देव जी प्रत्येक व्यक्ति को सही धर्म का स्वरूप बताना चाहते थे। वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। उनका ईश्वर कबीर के ही समान अनाम, अनादि, अजन्मा, अपार, माया से परे अगम और अगोचर है। सर्वशक्तिमान स्वयंभू और आनंदमय है। वह सत्य, सुंदर और कण-कण में व्याप्त है। गुरु नानक देव ने आजीवन देशाटन और सत्संग के माध्यम से ज्ञान वृद्धि करने वाले समन्वय के सिद्धांत को प्रतिपादित किया।

उन्होंने दूरदर्शिता के साथ संतों को अपनी वाणी के माध्यम से एकत्रित करने का अथक प्रयास भी किया। नानक ने जातिगत अहंकार के मिथ्याभिमान को हटाया। यह कार्य समाज में घुन की तरह लगा था। उन्होंने उस समाज की नींव डाली जहां ऊंच-नीच, अमीर गरीब के बीच कोई खाई नहीं हो। सभी परमात्मा के बनाए मनुष्य हैं और सभी को सम्मानपूर्ण मर्यादायुक्त जीवन बिताने का अधिकार मिलना चाहिए।

सभी को अपने हाथों से मेहनत कर, लोभ का त्याग कर एवं न्यायोचित साधनों से धन का अर्जन करना चाहिए। अपने जीवन में कभी भी किसी के हक को नहीं छीनना चाहिए। गुरु नानक देव जी चिंतामुक्त रहकर कर्म करने हेतु सभी को प्रेरित करते हैं ‘नानक चिंता मत करो’। मन की पवित्रता से जुड़ा उनका दर्शन विश्व बंधुत्व का संदेश देता है जो विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, आध्यात्मिक परंपराओं को एक माला में पिरोकर शांति के मार्ग को प्रशस्त करता है। जीवन में अहंकार को त्याग कर विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए।

गुरु नानक देव सदैव कहते थे कि संसार से पार जाने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है और बिना गुरु के किसी को राह नहीं मिलती। ‘नानक भव जल पार परै जो गावै प्रभु के गीत’, उन्होंने इस बात की प्रतिष्ठा करते हुए यह विश्वास दिलाया कि पूरा विश्व एक परिवार है।

इस संसार में प्रेम का कोई पर्याय नहीं है। प्रेम में उस परम तत्व की खोज ही ईश्वर है। उस परमात्मा का जन्म आपके भीतर तभी होगा, जब आप अहंकार को छोड़ देंगे। ऐसी कई विलक्षण अवधारणाएं हैं, जिनके माध्यम से गुरु नानक देव जी युग को नई चेतना देने का प्रयास करते हैं। गुरु नानक देव सच्चे अर्थों में एक युग प्रवर्तक लोकनायक होने के साथ-साथ क्रांतिकारी वैचारिक प्रवर्तक थे।

टॅग्स :गुरु नानकगुरु पूर्णिमासिखSikh Guru
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