पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को लिखे गए पत्र की चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हुई. भारत सरकार के सूत्रों ने इसे सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बताया है. चर्चा है कि दोनों देशों के बीच की कड़वाहट कुछ कम हुई है. मार्च की शुरुआत में पाकी सेना प्रमुख जनरल कमर अहमद बाजवा के वक्तव्य के अनुसार दोनों देशों को सामान्य रिश्ते बनाने पर सोचना चाहिए.
सीमा पर शांति का माहौल बनने के तीन सप्ताह बाद का यह बयान आया था. 5-6 वर्षों बाद पिछले एक माह से सीमा पर शांति है. पीएम मोदी द्वारा पाकी प्रधानमंत्री इमरान खान को पत्र लिखने के बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे का कहना था कि अभी भी आतंकवादी कार्रवाई का केंद्र पाकिस्तान ही है. इन गतिविधियों से दोनों देशों के खेल संबंधों में ही दोस्ती का माहौल बनता नजर आया.
मार्च की शुरुआत में पाक का सदस्यीय घुड़सवारी दल नोएडा में होने वाली अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के लिए वीजा दिया गया था. पाकी खिलाडि़यों को वीजा प्रदान करना महज एक दिखावा नहीं था. पिछले सप्ताह टेनिस में रोहन बोपन्ना और ऐसाम-उल-हक कुरैशी की 'इंडो-पाक' जोड़ी सात वर्षों बाद कोर्ट पर वापस लौटी. वर्ष 2010 में यह जोड़ी यूएस ओपन के फाइनल में खेली थी. एटीपी टेनिस में बोपन्ना और कुरैशी व्यक्तिगत रूप से खेलते हैं, वह देश की नुमाइंदगी नहीं करते.
ऐसे में भारत-पाक दोनों देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. उपमहाद्वीप में क्रिकेट लोकप्रियता के शिखर पर रहने से दोनों देशों के चहेतों की भावनाएं जुड़ी हैं. लिहाजा, इस खेल के जरिए दोनों देशों में खेल के रिश्ते बनाने में मदद मिल सकती है. वर्ष 1961 के बाद से सामान्य रिश्ते बनने में एक दशक इंतजार करना पड़ा. जनता पार्टी की सरकार के बनने के बाद खेल के रिश्ते स्थापित हुए.
कारगिल युद्ध के चार साल बाद वर्ष 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने भारतीय टीम को पाक दौरे के अनुमति दी, जो यादगार साबित हुआ. 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के बाद 2012-13 में पाक टीम भारत दौर पर आई. खेल गतिविधियों को सामान्य करने के लिए राजनेताओं को उदारता दिखाने की जरूरत है. जब दोनों देशों में बातचीत होती है, व्यापार होता है तब खेल क्यों नहीं? इससे दोनों देशों की अवाम में संवाद बढ़ता है.