ये अर्थशास्त्री अलग-अलग गुणक को तरजीह देकर ऐसे निष्कर्ष पर पंहुच रहे हैं. लेकिन शायद उन्हें ग्रामीण भारत में हो रहे एक नए परिवर्तन का अहसास नहीं है जो करोड़ों प्रवासी मजदूरों के गांवों में पहुंचने से हुआ है. ...
महात्मा गांधी ने कहा था, ‘ईश्वर ने हमारे दांत व आंतें शाकाहार के लिए बनाए हैं लिहाजा हमारा मांसाहार प्रकृति के अनुकूल नहीं है’. हमने एक अर्थव्यवस्था दी जिसमें एक अच्छी कंपनी के सीईओ की एक साल की तनख्वाह एक मजदूर की 957 साल की कमाई से भी ज्यादा होती ह ...
कोरोना संकट से निपटने में केंद्र सरकार ने दो ऐतिहासिक गलतियां कीं. उसे नौ करोड़ प्रवासी मजदूरों की अर्थव्यवस्था में भूमिका और उनकी मानसिक स्थिति का अंदाजा नहीं था जब मार्च में पहला लॉकडाउन घोषित हुआ. दूसरी गलती थी : घोषणा के दो दिन पहले ही कम से कम द ...
मानव-सभ्यता के लगभग 3500 साल पुराने लिखित वैज्ञानिक तार्किक इतिहास में प्रलय का अस्तित्व वर्णित नहीं है लेकिन अगर विश्व की तमाम धार्मिक चिंतन-धाराओं को देखा जाए तो शायद प्रलय ऐसा ही होता होगा. लेकिन इस काली-अंधेरी सुरंग के उस पार देखें तो एक दीया टिम ...
एक बार फिर से दुनिया में द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था-अमेरिका बनाम चीन के पनपने से चूंकि यह पद राजनीतिक होता जा रहा है, लिहाजा महानिदेशक की जनवरी माह में टीम भेजकर वस्तुस्थिति का जायजा लेने की चार बार कोशिश को चीन ठेंगा दिखाता रहा. यह संगठन सदस्य देशों के ऐ ...
कोरोना वायरस से संक्रमित होने और मरने वालों के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं, लिहाजा लॉकडाउन खोलने का तो सवाल ही नहीं है. अगर खोलेंगे तो वह मकसद संकट में आ जाएगा जिसके लिए 139 करोड़ लोगों को घरों की चहारदीवारी में कैद होना पड़ा. लेकिन देश की जो तमाम आर् ...
कोरोना वैतरणी को पार करना दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जाहिर है भारत के लिए भी. अगर हम इसे पार कर गए तो वर्तमान आलोचक या भावी इतिहासकार सरकार के प्रयासों के लिए कसीदे काढ़ेंगे, समाज की समझ को दाद देंगे और देशवासियों की जिजीविषा (जीने की शक्ति) ...