नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर सवाल खड़़े हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के तीन कृषि कानूनों को पूरी तरह निरस्त नहीं करने के पक्ष में होने के खुलासे के बीच स्वराज इंडिया पार्टी के संस्थापक और किसान आंदोलन से जुड़े योगेंद्र यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें वे कहते नजर आते हैं कि किसान आंदोलन ने पिच तैयार की और अखिलेश यादव को बॉलिंग करनी थी लेकिन वे योगी आदित्यनाथ को आउट नहीं कर सके।
'किसान आंदोलन की भूमिका पिच तैयार करने की थी'
योगेंद्र यादव इस इंटरव्यू में कहते नजर आ रहे हैं, 'किसान आंदोलन इस मैच (चुनाव) में खिलाड़ी नहीं था। किसान आंदोलन की भूमिका पिच तैयार करने की थी। पिच हमने तैयार की, हमने इस पर हेवी सा रोलर भी चलाया ताकि सिमर को, तेंज गेंदबाज को मदद मिले। बॉलिंग अखिलेश जी को करनी थी और वो अगर योगी जी को आउट नहीं कर सके तो खाली पिच बनाने वाले के दोष देना ठीक नहीं है। अंतत: खेल उनका है, खेल पार्टियों का है।'
गौरतलब है कि सोमवार को ये बात सामने आई कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति तीन कृषि कानूनों को पूरी तरह निरस्त नहीं करने के पक्ष में थी। समिति ने इसके बजाय निर्धारित मूल्य पर फसलों की खरीद का अधिकार राज्यों को देने और आवश्यक वस्तु कानून को खत्म करने का सुझाव दिया था।
समिति के तीन सदस्यों में से एक ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए यह बात कही। पुणे के किसान नेता अनिल घनवट ने कहा कि उन्होंने तीन मौकों पर समिति की रिपोर्ट जारी करने के लिए उच्चतम न्यायालय को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने के कारण वह इसे खुद जारी कर रहे हैं।
घनवट ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 'इन कानूनों को निरस्त करना या लंबे समय तक निलंबन उन खामोश बहुमत के खिलाफ अनुचित होगा जो कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं।'
समिति ने कानूनों के क्रियान्वयन और रूपरेखा में कुछ लचीलापन लाने का समर्थन किया। हितधारकों के साथ समिति की द्विपक्षीय बातचीत से जाहिर हुआ कि केवल 13.3 प्रतिशत हितधारक तीन कानूनों के पक्ष में नहीं थे। घनवट ने कहा, '3.3 करोड़ से अधिक किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 85.7 प्रतिशत किसान संगठनों ने कानूनों का समर्थन किया।'
पीएम नरेंद्र मोदी ने कानून वापस लेने की घोषणा की थी
उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार कृषि क्षेत्र के सुधारों के लाभों के बारे में विरोध करने वाले किसानों को नहीं समझा सकी। निरस्त किए गए तीन कृषि कानून - कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून और आवश्यक वस्तुएं (संशोधन) कानून थे।
तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले 40 किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में से एक था। विरोध प्रदर्शन नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ और संसद द्वारा तीन कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ।
(भाषा इनपुट)