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Uttarakhand Chamoli Glacier Burst: 8 माह पहले Scientists ने किया था Alert, क्यों फटा ग्लेशियर? फिर हो सकती है ऐसी घटना?

By गुणातीत ओझा | Published: February 08, 2021 1:10 AM

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उत्तराखंड आपदाक्यों फटा ग्लेशियर क्या फिर हो सकती है ऐसी घटना?उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची हुई है। प्रदेस ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार भी इस आपदा से हलकान है। प्रशासन राहत-बचाव कार्य में लगा हुआ है। इस तबाही के बाद पहली कोशिश यही है कि जान-माल के नुकसान को कम किया जाए। एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एयरफोर्स की टीमें लगातार निगरानी बना हुए हैं। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली जाकर बिगड़े हालात का जायजा लिया है। आईटीबीपी के डीजी एसएस देसवाल ने बताया है कि तपोवन डैम के समीप निर्माणाधीन टनल की साइट पर पर 100 से अधिक मजदूर मौजूद थे। जिनमें से 10 लोगों के शव बरामद किए गए हैं। सर्च ऑपरेशन जारी है। 250 से अधिक आईटीबीपी के जवान मौजूद हैं। आइये अब बात करते हैं इस हादसे के बारे में आगाह करती बीते दिनों आई कुछ रिपोर्ट्स के बारे में।भू-वैज्ञानिकों ने करीब 8 महीने पहले ऐसी आपदा की ओर संबंधित विभागों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी। देहरादून के भू-विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं ने चेतावनी जारी की थी। तब वैज्ञानिकों ने कहा था कि वक्त रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भयंकर विनाश (Devastation) हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा था कि केदारनाथ आपदा के वक्त एक झील के फट जाने से उत्तराखंड में तबाही का तांडव हुआ था। वैसी ही एक झील हिमालय (Himalaya) के श्योक नदी के आसपास बनी हुई है। इस पर नजर रखना जरूरी है। अगर ये फटती है तो काफी नुकसान हो सकता है। जम्मू-कश्मीर के काराकोरम रेंज में स्थित श्योक नदी के प्रवाह को एक ग्लेशियर ने रोक दिया है। इसी के चलते वहां एक बड़ी झील बन गई है। इसमें लगातार पानी बढ़ रहा है। जरूरत से ज्यादा पानी इकट्ठा होने पर इसके फटने की आशंका है।देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की ओर से जारी की गई चेतावनी में यह भी कहा गया था कि यहां महज एक झील ही खतरा नहीं है। बल्कि यहां बनी कई झीलें हैं। ग्लेशियर के सामने आने की वजह से इनका पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इंटरनेशनल जर्नल ग्लोबल एंड प्लेनेटरी चेंज में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों ने श्योक नदी के आसपास के हिमालयी क्षेत्र में 146 लेक आउटबर्स्ट की घटनाएं हो चुकी हैं। साथ ही इनका एक विश्लेषण तैयार किया।एनालिसिस रिपोर्ट से पता चला कि पाक अधिकृत कश्मीर वाले काराकोरम क्षेत्र में ग्लेशियर में बर्फ की मात्रा बढ़ रही है। जिससे नदियों का प्रवाह रुक रहा है। इससे पहले साल 1920 में श्योक नदी के ऊपरी हिस्से में मौजूद कुमदन समूह के ग्लेशियरों ने भी कई बार नदी का रास्ता रोका है। जिसके चलते कई छोटे-बड़े हादसे हुए थे। इन्हीं में से 146 घटनाओं की डिटेल्स शोधकर्ताओं ने जमा की। इनमें 30 बड़ी आपदाएं भी शामिल हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. राकेश भाम्बरी ने तब कहा था कि उनकी टीम लोगों को संकट से बचाना चाहती है। इसलिए वे लगातार इस पर नजर रख रहे हैं। जिससे एक अलर्ट सिस्टम तैयार किया जा सके।
टॅग्स :उत्तराखण्डत्रिवेंद्र सिंह रावतकेदारनाथ
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