सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। जम्मू एवं कश्मीर को छोड़ कर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है। सरकार के संचालन और अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन के मद में खर्च होने वाली रकम का प्रबंध भी हमारे-आपके द्वारा दिए गए करों से ही किया जाता है। यहां तक कि एक रिक्शा चलाने वाला भी जब बाज़ार से कुछ खरीदता है तो वह बिक्री कर, उत्पाद शुल्क इत्यादि के रूप में टैक्स देता है। इसलिए हम सभी को यह जानने का अधिकार है कि उस धन को किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है। Read More
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक आरटीआई आवेदक को सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में ताजा अपडेट की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। सीबीआई का कहना है कि किसी भी जानकारी को प्रकट करने से जांच प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। ...
जानकारी के अनुसार, रोहित कूदते समय पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहा था। फिलहाल, छत से नीचे गिरते समय वो बिजली के तार पर जा गिरा, जिसके कारण उसका शरीर और झुलस गया। हालांकि, इस हादसे के बाद उसे एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती किया गया, जहां उसन ...
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयराज कुबेर ने बताया कि गंभीर रूप से घायल शशिकांत जाटव को स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए एम्स, दिल्ली में भर्ती कराया गया है। ...
बिहार के आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के रख रखाव में हो रहे खर्च की जानकारी मांगी गई थी. इस पर सामने आई जानकारी हैरान करने वाली है. ...
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर द्वारा दायर एक आवेदन के जवाब में श्रीनगर में जिला पुलिस मुख्यालय के एक डीएसपी ने बताया कि 1990 में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से हमलों में 89 कश्मीरी पंडित मारे गए थे। ...