भारतीय संविधान में भीड़ के द्वारा की गई हिंसा के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया था। इसका फायदा उठाकर भारत में कई वारदातों को भीड़ ने अंजाम दिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग साल 1984 में हुई थी। जबकि कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं। हालांकि मॉब लिंचिंग का इंतिहास पुराना है। साल 1947 में जब हिन्दुस्तान को आजादी मिली और देश के दो टुकड़े हुए, भारत और पाकिस्तान, तब भी भीड़ ने कइयों को मौत के घाट उतार दिया था। तब उसे दंगे का नाम दिया गया था। लेकिन कई जगहों पर भारी मॉब लिंचिंग हुई थी। Read More
बिहार में रोहतास जिले के सूर्यपुरा थाना क्षेत्र में मॉब लिंचिंग का मामला सामने आया है, जहां विजेंद्र सिंह की हत्या करके भाग रहे 2 अपराधियों को भीड़ ने पीट पीटकर मार डाला। ...
सुप्रीम कोर्ट नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है जिसमें जिसमें मुसलमानों के खिलाफ विशेष रूप से 'गौरक्षकों' द्वारा लिंचिंग और भीड़ की हिंसा के मामलों में वृद्धि पर चिंता जताई गई थी। ...
17 जून 2019 को ये घटना झारखंड के सरायकेला पुलिस थाने के तहत आने वाले धातकीडीह गांव में घटी थी। तबरेज अंसारी पुणे में रहकर मजदूरी का काम करता था। पिटाई के दौरान कुछ लोगों ने घटना का वीडियो भी बनाया था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। ...
बिहारः पुलिस ने छपरा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराने के बाद शव मृतक के परिजनों सौंप दिया। इस मामले में पुलिस ने जलालपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर सात लोगों को गिरफ्तार किया है। ...
मुंबई के कुर्ला का 32 वर्षीय पीड़ित अफान अंसारी अपने सहयोगी नासिर शेख के साथ एक कार में मवेशियों का मांस ले जा रहा था, तब उसे रोका गया और पीटा गया। ...