आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु का पूजन किया जाता है। समूचे भारतवर्ष में गुरु पूर्णिमा बड़ी श्रद्वा भक्ति से मनाई जाती है। सभी शिष्य अपने-अपने गुरु का पूजन करते हैं। चारों वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अर्थवेद के प्रथम प्रख्याता व पराशर ऋषि के पुत्र कृष्ण द्वैपायन का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। वेदों का ज्ञान हमें व्यासजी से प्राप्त हुआ है, इसलिए वही आदिगुरु है। व्यासजी की स्मृति बनाए रखने के लिए हमें अपने अपने गुरु को व्यास जी का अंश मानकर श्रद्वा भक्ति से उनका पूजन करना चाहिए। Read More
Guru Purnima 2020: गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को है। इस दिन गुरु की पूजा का विधान है। इस दिन लोग एक-दसरे को गुरु पूर्णिमा विश करते हैं और बधाई संदेश भेजते हैं। ...
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का विशेष महत्व है। हिंदुओं अनादि काल से गुरुओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। इतना ही नहीं गुरु को भगवान से पहले नमन किया जाता है। गुरु ही हमें अज्ञानता के अंधेरे से सही मार्ग की ओर ले जाते हैं। यही कारण ...
सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि ब्रह्मसूत्र, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे 18 पुराणों के रचयिता का जन्म इस आषाढ़ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इ ...
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित करतारपुर साहिब सिखों के लिए बेहद पवित्र स्थल है . सिख इतिहास के मुताबिक चार महत्वपूर्ण यात्राएं करने और जीवनभर का ज्ञान बटोरने के बाद गुरु नानक देव जी करतारपुर के इसी स्थान पर आए और जीवन के अंतिम 18 ...
अपने करियर को संवारने में आचरेकर के योगदान की अक्सर चर्चा करने वाले तेंदुलकर ने ट्वीट किया, "गुरू वह होता है जो शिष्य में अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।" ...