Guru Purnima 2020: कब है गुरु पूर्णिमा? जानें शुभ तिथि और इसे मनाने की विधि

By मेघना वर्मा | Published: May 7, 2020 08:15 AM2020-05-07T08:15:59+5:302020-05-07T08:16:18+5:30

सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि ब्रह्मसूत्र, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे 18 पुराणों के रचयिता का जन्म इस आषाढ़ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इ

Guru Purnima 2020, when is guru purnima, know the date, shubh muhurat, puja vidhi and significance | Guru Purnima 2020: कब है गुरु पूर्णिमा? जानें शुभ तिथि और इसे मनाने की विधि

Guru Purnima 2020: कब है गुरु पूर्णिमा? जानें शुभ तिथि और इसे मनाने की विधि

Highlightsशास्त्रों के अनुसार महर्षि वेद व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। गुरू का हमारी जिंदगी में सबसे बड़ा योगदान होता है।

हमारे देश में गुरुओं को माता पिता से ऊपर बताया गया है। मान्यता है कि जहां गुरु का सम्मान नहीं होता वहां कभी तरक्की नहीं होती-कभी सफलता नहीं मिलती। गुरुओं के सम्मान में हर साल गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरू पूर्णिमा को मनाया जाता है। 

हर व्यक्ति की जिंदगी में गुरु की अपनी अलग महत्ता होती है। एक साधारण से व्यक्ति को महान बनाने में गुरू का सबसे बड़ा योगदान होता है। आइए आपको बताते हैं इस साल गुरु पूर्णिमा कब पड़ रही है। साथ ही क्या है गुरु पूर्णिमा की पौराणिक कथा-

कब है गुरु पूर्णिमा?

गुरू पूर्णिमा तिथि - 5 जुलाई 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 11:33 AM - 04 जुलाई को
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 10:13 AM - 05 जुलाई को

हुआ था वेदव्यास का जन्म

सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि ब्रह्मसूत्र, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे 18 पुराणों के रचयिता का जन्म इस आषाढ़ माह की पूर्णिमा को हुआ था। इसीलिए हर माह गुरू पूर्णिमा मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन सभी शिष्य अपने गुरू का आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। 

बांटे थे चारों वेद

गुरू का हमारी जिंदगी में सबसे बड़ा योगदान होता है। गुरू की इसी महानता को देखते हुए संत कबीरदास ने लिखा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये। गुरू का स्थान भगवान से भी ऊपर बताया जाता है। वहीं महर्षि वेद व्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे।

शास्त्रों के अनुसार व्याक को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। बताया जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने ही वेदों को अलग-अलग खंड़ों में बांटकर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अर्थवेद रखा था।

कैसे मनाएं गुरू पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा की जाती है। गुरू पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं को उपहार देते हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन आप भी अपने गुरुओं के पास जाकर उनसे आशीर्वाद ले सकते हैं। माना जाता है इस दिन गुरु का आशीर्वाद लेने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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