गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल मान गए हैं। उन्होंने कहा सचिवालय जाकर उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया है। नितिन पटेल वित्त, शहरी विकास और पेट्रोरसायन मंत्रालय ना मिलने से नाराज थे। उन्होंने इस्तीफा देने बातें भी कहनी शुरू कर दी थी। ऐसे में फायदा उठाकर उनके पाटीदार भाई हार्दिक पटेल ने कांग्रेस में आने का न्योता देकर गुजरात की राजनीति में हलचल मचा दी थी। लेकिन बाद में बीजेपी ने नितिन को मना लिया। उन्होंने उपमुख्यमंत्री का कार्यभार संभाल लिया है। बताया जा रहा है कि अमित शाह ने फोन पर नितिन पटेल से बात की थी। इसी के बाद नितिन ने आकर अपना पदभार संभाल लिया।
इससे पहले मामले को बढ़ता देख शनिवार रात कैबिनेट मंत्रियों की बीजेपी विधायक बाबू जमना के बंगले पर बैठक कराई गई। वहीं डिनर डिप्लोमेसी में नितिन पटेल को वित्त मंत्रालय देने पर सहमति बन गई। क्योंकि पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने ऑफर दिया कि गुजरात सरकार में महत्वपूर्ण विभाग न दिए जाने से नाराज उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को चाहिए कि वे बीजेपी छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाएं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर नितिन 10 विधायक लेकर आते हैं तो उन्हें अच्छा पद मिलेगा।
बीते चुनावों में कांग्रेस को 80 और बीजेपी 99 सीटें मिली थीं। लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी भी हार्दिक के साथी हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास 81 सीटें हो गईं। ऐसे में अगर बीजेपी से 10 विधायक निकल कर कांग्रेस के पास आ जाएं तो उनके पास 91 सीटें हो जाएंगी। यह बहुमत से महज 1 सीट कम हैं। जबकि बीजेपी के पास 89 ही बचेंगे। इन आंकड़ों के मद्दनजर एक बार को गुजरात की राजनीति में बवंडर के आसार लगने लगे थे।
हार्दिक पटेल ने अहमदाबाद में कहा, "अगर वह (नितिन पटेल) और अन्य 10 विधायक पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होते हैं तो मैं और मेरे समर्थक पार्टी में नितिन पटेल का स्वागत करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत करने के लिए तैयार हैं।" लेकिन नितिन पटेल मान गए हैं। उन्होंने अपना पदभार संभाल लिया है।
किसे मिल गया था नितिन पटेल का मंत्रालय
उपमुख्यमंत्री पटेल महत्वपूर्ण वित्त, शहरी विकास और पेट्रोरसायन विभाग छीने जाने से पार्टी से नाराज चल रहे हैं। वित्त एवं पेट्रोरसायन विभाग सौरभ पटेल को दिया गया है, जिन्हें विजय रूपानी की पिछली सरकार में जगह नहीं दिया गया था। रूपानी ने शहरी विकास विभाग अपने पास रखा है। इससे क्षुब्ध, नितिन पटेल शुक्रवार को गांधीनगर में सचिवालय नहीं गए, जबकि उनके साथ मंत्रिमंडल के सभी नए साथियों ने अपना कार्यभार संभाल लिया। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह पार्टी से भी इस्तीफा दे सकते हैं। उन्होंने अभी तक सरकारी वाहन और सुरक्षा भी नहीं ली है।