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Pranab Mukherjee: नहीं रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, 84 साल की उम्र में निधन, see pics

By सतीश कुमार सिंह | Published: August 31, 2020 6:25 PM

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को 84 साल की उम्र में निधन हो गया है। वो बीते कई दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे।
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बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी। उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट करके यह जानकारी दी। उनकी हाल ही में ब्रेन सर्जरी की गई थी।
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प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 के बीच 13वें राष्ट्रपति थे।साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
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प्रणब मुखर्जी को खराब स्वास्थ्य के कारण 10 अगस्त को दिल्ली के RR अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के बाद सर्जरी की गई थी। 
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प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। रामनाथ कोविंद ने ट्वीट में लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ. उनका जाना एक युग का अंत है। प्रणब मुखर्जी ने देश की सेवा की, आज उनके जाने पर पूरा देश दुखी है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत, भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोकाकुल है। उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर के दौरान आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में योगदान दिया। वह एक शानदार सांसद थे, जो हमेशा पूरी तैयारी के साथ जवाब देते थे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया। पीएम मोदी ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश दुखी है, वह एक स्टेट्समैन थे। जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि प्रणब मुखर्जी को देश के हर तबके का सम्मान प्राप्त था। उनका निधन एक निजी क्षति है, जिनके पास सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र का ज्ञान था। राजनाथ सिंह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी का जीवन बेहद साधारण था, इसी तरह उन्होंने देश की सेवा की।
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गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि भारत रत्न प्रणब मुखर्जी एक शानदार नेता थे, जिन्होंने देश की सेवा की। प्रणब जी का राजनीतिक करियर पूरे देश के लिए गर्व की बात है।अमित शाह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन में देश की सेवा की, उनके निधन के बाद देश के सार्वजनिक जीवन को बड़ी क्षति हुई है।
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प्रणब मुखर्जी को टेक्स्ट बुक मैन कहा जाता है. उन्होंने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसमें कहा गया हो कि सिर्फ भारतीय नागरिक को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।
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प्रणब दा के दावे को संविधान विशेषज्ञों ने सही माना और फिर मदर टेरेसा को भारत रत्न दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली. 1980 में मदर टेरेसा को भारत रत्न दिया गया. इससे एक साल पहले 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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