नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें अंडमान-निकोबार के मुख्य सचिव केशव चंद्रा को निलंबित करने का निर्देश दिया गया था और साथ ही उपराज्यपाल एडमिरल डीके जोशी को अदालत की अवमानना के मामले में 5 लाख रुपये का जुर्माना जमा करने के लिए कहा गया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी द्वारा तत्काल हस्तक्षेप के लिए मामले का उल्लेख करने के बाद गुरुवार को पारित उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगा दी।
पीठ ने कहा, "उन्होंने जरूर कुछ कठोर कदम उठाया होगा जिसके चलते उच्च न्यायालय को ऐसा आदेश पारित करना पड़ा...हालांकि हमारा मानना है कि मुख्य सचिव को निलंबित करना और उपराज्यपाल को जुर्माना भरने के लिए कहना थोड़ा ज्यादा है। हम बाद में इसकी विस्तार से जांच करेंगे।" मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त तय की गई है।
द्वीप प्रशासन द्वारा नियोजित लगभग 4,000 दैनिक रेटेड मजदूरों (डीआरएम) को उच्च वेतन और डीए देने पर अपने आदेश का पालन न करने से नाराज उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को निलंबित कर दिया था।
पोर्ट ब्लेयर में कलकत्ता उच्च न्यायालय की सर्किट बेंच की खंडपीठ ने एलजी जोशी को स्थगित तिथि पर वर्चुअल मोड में उपस्थित होने के लिए कहा और चंद्रा को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर यह बताने के लिए कहा कि उन्हें अदालत की अवमानना के लिए दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने अगली तारीख 17 अगस्त तय करते हुए अपने आदेश में कहा, "यह अदालत स्पष्ट रूप से एडमिरल डीके जोशी, उपराज्यपाल और सीएस केशव चंद्र की ओर से घोर और निंदनीय अवमानना पाती है।" अदालत ने ये भी कहा कि चंद्रा के निलंबन के बाद प्रशासन में अगला वरिष्ठतम अधिकारी मुख्य सचिव के कार्यों का निर्वहन करेगा। अदालत ने एडमिरल जोशी को सात दिनों के भीतर 5 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया।