नई दिल्ली: संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के निलंबन के बाद से विपक्षी नेता केंद्र सरकार को घेरने में जुटे हुए हैं। विपक्ष के नेतृत्व वाले भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) ब्लॉक के नेताओं ने इस निलंबन के खिलाफ आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। जंतर-मंतर पर विपक्षी नेताओं का आना शुरू हो गया है और इसी मंच से सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अपना बिगुल फूंका है।
आज नेता सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य नेताओं का प्रदर्शन स्थल पर पहुंचना जारी है।
जंतर-मंतर पर तमाम विपक्षी नेताओं के बीच राहुल गांधी भाषण देंगे। खड़गे ने कहा कि इस बीच, सभी जिला मुख्यालयों पर एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन भी निर्धारित किया गया है।
सांसदों के निलंबन के खिलाफ इंडिया ब्लॉक का प्रदर्शन, कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कहा, "संसद के सदस्यों को निलंबित किया जाता है, यह लोकतंत्र नहीं है। 5 या 6 ठीक हैं लेकिन लगभग 150 सदस्यों को निलंबित करना लोकतंत्र नहीं है। यह संदेश लोगों तक पहुंचना चाहिए। अगर सभी सांसद बाहर रहेंगे तो संसद कैसे चलेगी?...ऐसा कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। एक सांसद को अपनी बात रखने का विशेषाधिकार है...।"
सांसदों के निलंबन पर इंडिया ब्लॉक के विरोध पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी कहते हैं, "देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी राष्ट्रवादी संगठनों को एक साथ आने और एक आवाज में संदेश देने की जरूरत है..."
संसद से विजय चौक का पहले भी हुआ मार्च
गौरतलब है कि गुरुवार को निलंबित सांसदों सहित विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के कदम के विरोध में संसद से विजय चौक तक मार्च किया।
पहले विरोध प्रदर्शन के दौरान, खड़गे ने सरकार से लोकतांत्रिक तरीके से व्यवहार करने का आग्रह किया और आरोप लगाया कि भाजपा को लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद एक बड़ी पंचायत है। संसद में नहीं बोलेंगे तो कहां बोलेंगे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गृह मंत्री शाह और प्रधानमंत्री मोदी सुरक्षा उल्लंघन के बारे में अवगत कराने के लिए सदन में नहीं आए।
उन्होंने उन मुद्दों के बारे में बात की जिन पर सदन के अंदर और बाहर बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने संसद के अंदर सुरक्षा उल्लंघन के मुद्दे पर न बोलकर संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है।
मालूम हो कि 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा के उल्लंघन की घटना के बाद शीतकालीन सत्र में व्यवधान के बाद गृह मंत्री के एक बयान की मांग के साथ लोकसभा और राज्यसभा दोनों में निलंबन की एक श्रृंखला शुरू हुई। सत्र के अनिश्चित काल के समापन से पहले, तीन और विपक्षी सांसदों को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया, जिससे निलंबन की कुल संख्या रिकॉर्ड तोड़ 146 हो गई।