लखनऊ: किसी भी चुनाव की गर्मी में नेताओं की तीखी बयानबाजी बहुत आम है। पार्टियां और नेता एक दूसरे पर हमला करते हैं। कई बार विवादित बयान भी दिए जाते हैं, जिसका मकसद किसी खास चीज की ओर ध्यान खींचना होता है। उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही हो रहा है। सत्ताधारी दल के तमाम नेता सभी तरह के मुद्दों के बीच मुसलमान, हनुमान, शरिया, पाकिस्तान, चूरन जैसे शब्द अपने संबोधन में प्रयोग कर रहे हैं।
इटावा की एक रैली में शिवपाल सिंह यादव पर तंज़ कसते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हे चूरन देने की बात कही थी। अपने चाचा पर सीएम योगी के किए गए तंज़ से समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव बेहद आहत हुए और शुक्रवार को उन्होंने सीएम योगी पर हमला करते हुए कहा कि वसूली को चंदा कहने वाले अब प्रसाद को चूरन कह रहे हैं। ऐसे लोगों को उत्तर प्रदेश के जनता इस बार सबक सीखने जा रही हैं।
ये था सीएम योगी का तंज़
अखिलेश यादव का सीधे सीएम योगी को निशाने पर लेने के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जसवंतनगर में शिवपाल सिंह यादव पर बीते दिनों किया गया तंज़ है। सीएम योगी जसवंतनगर में मैनपुरी संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी जयवीर सिंह के समर्थन में जनसभा को संबोधित करने गए थे। तब उन्होने शिवपाल सिंह यादव पर तंज़ कसते हुए कहा था कि उन्हे शिवपाल सिंह पर तरस आता है।
आज इनकी क्या हालत हो गई है अगर कोई कार्यक्रम होता है तो उनको बैठने के लिए सोफा नहीं मिलता है, सिर्फ हत्था मिलता है और यह चूरन खाने के आदी हो गए हैं। सीएम योगी के इस कथन पर शिवपाल सिंह यादव ने तुरंत ही पलटवार करते हुए कहा था कि ज्ञानी सीएम को यह पता नहीं है कि भगवान सत्यनारायण की कथा के पश्चात चूरन नहीं प्रसाद वितरित होता है। पवित्र प्रसाद को चूरन कहना करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान है।
इसलिए अखिलेश ने सीएम योगी को लिया निशाने पर
चाचा शिवपाल सिंह के इस कथन के बाद शुक्रवार को अखिलेश यादव ने इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लिया। उन्ंहोने कहा कि वसूली को चन्दा कहने वाले अब प्रसाद को चूरन कहा रहे हैं। कभी ये छियालीस में छप्पन वाली उल्टी गणित समझाते थे। इनका सब कुछ उल्टा-पुल्टा है, इसलिए इस बार जनता इनको उलटने-पलटने जा रही हैं।
अखिलेश यादव का भाजपा के स्टार प्रचारक सीएम योगी आदित्यनाथ पर इस तरह से सीधे निशाना साधने की वजह है। वजह यह है कि सपा के गढ़ को फतह करने के लिए भाजपा इस बार ख़ासी मुखर नजर आ रही हैं। जिसके चलते भाजपा ने इटावा और मैनपुरी पर फोकस बढ़ाया है और एमपी (मध्य प्रदेश) के सीएम मोहन यादव सैफई और मैनपुरी पहुँचते हैं।
फिर सीएम योगी जसवंतनगर में शिवपाल सिंह पर तंज़ कसते हैं और 28 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री ने इटावा आने का ऐलान करते हैं। सपा के गढ़ में भाजपा नेताओं की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए ही शुक्रवार को अखिलेश यादव ने सीएम योगी को आड़े हाथों लिया है ताकि यादव लैंड में यह संदेश दिया जा सके की समाजवादी किसी से डरते नहीं हैं और अब सीएम योगी के हर आरोप का अखिलेश यादव की तरफ से जवाब मिलेगा।