Assembly Elections: पश्चिम बंगाल और असम में तीसरे चरण के लिए छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रविवार शाम को प्रचार थम गया।
प्रचार के अंतिम दिन विभिन्न दलों ने नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। बंगाल में तीसरे चरण के तहत तीन जिलों की 31 सीटों पर चुनाव होने हैं तो वहीं, असम में तीसरे और अंतिम चरण का चुनाव 40 विधानसभा सीटों पर होगा।
केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी के लिए भी प्रचार थमा केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी छह अप्रैल को ही चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में इन राज्यों के लिए भी रविवार को प्रचार का अंतिम दिन रहा। केरल की सभी 140, तमिलनाडु की सभी 234 और पुडुचेरी की सभी 30 सीटों के लिए मतदान होना है।
तमिलनाडु में छह अप्रैल को होने वाले चुनाव में मतदाता अपना फैसला इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में दर्ज करेंगे और इससे यह तय होगा कि राज्य में अन्नाद्रमुक लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करेगी या यहां सत्ता में बदलाव होगा। चुनाव प्रचार के दौरान अन्नाद्रमुक, द्रमुक, एएमएमके और मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) ने खुद को मतदाताओं के समक्ष सर्वश्रेष्ठ विकल्प के तौर पेश करने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक तीसरी बार सत्ता में बरकरार रहने की इच्छुक है। वहीं द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने अपने प्रतिद्वंद्वियों की उम्मीदों को विफल करने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है। द्रमुक 2011 में बिजली कटौती सहित कई कारकों के कारण निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सत्ता से बेदखल हो गई थी।
पांच साल बाद उसने अधिक उत्साही प्रदर्शन किया और प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत की। तमिलनाडु में यह विधानसभा चुनाव दिवंगत नेताओं जे. जयललिता और एम. करुणानिधि की अनुपस्थिति में होगा। भाजपा भगवान मुरुगा के आशीर्वाद से इस चुनाव में अच्छा मुकाबला देने की उम्मीद कर रही है। भाजपा ने पिछला चुनाव अपने दम पर लड़ा था लेकिन इस बार वह अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन में लड़ रही है। भाजपा इस बार तमिल संस्कृति और गौरव सहित कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किये हुए है।
पश्चिम बंगाल चुनाव : डायमंड हार्बर को बचाने के लिए तृणमूल कर रही कड़ी मशक्कत
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र की सात विधानसभा सीटों पर कब्जा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। बता दें कि इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे एवं तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी कर रहे हैं। भाजपा का जनाधार बढ़ने और अम्फान तूफान राहत कार्य में भ्रष्टाचार के आरोपों ने तृणमूल को चिंतित कर दिया है।
यह चिंता इसके बावजूद है कि अभिषेक ने इस सीट पर 3.2 लाख मतों के भारी अंतर से 2019 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। वाम नीत संयुक्त मोर्चा तीसरी ताकत के रूप में उभरा है और माकपा एवं इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में महौल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। डायमंड हार्बर लोकसभा सीट की सात विधानसभा सीटो में बनर्जी को मुस्लिम बहुल मटियाबुर्ज और बज-बज पर भारी बढ़त मिली थी जबकि महेशटाला, बिष्णुपुर, सतगछिया, फाल्टा और डायमंड हार्बर में भी आगे थे और इन सीटों पर भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की अच्छी-खासी आबादी है। इस चुनाव में माकपा डायमंड हार्बर, सतगछिया, बिष्णुपुर और महेशटाला में लड़ रही है जबकि संयुक्त मोर्चा गठबंधन के तहत कांग्रेस के हिस्से में बज-बज और फाल्टा सीटें आई है।
(इनपुट एजेंसी)