रेल गाड़ी छुक छुक.. इस गाने को सुनते ही एक नायाब अभिनेता दिमाग में घूम जाता है और वह है अपने जमाने के सुपरस्टार अशोक कुमार। भले ही फैंस और बॉलीवुड उनको अशोक कुमार के नाम से जानते हों लेकिन उनका असली नाम कुमुद कुमार गांगुली था। 10 दिसंबर को जब अशोक कुमार ने दुनिया को अलविदा कहा तो हर किसी ने कहा कि आज अभिनय का एक चमकता सितारा कहीं चला गया। अशोक कुमार और दादा मुनि के नाम से सिनेजगत और सिने प्रेमी अच्छी तरह परिचित हैं। आइए आज जानते हैं इस अभिनेता के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें-
डायरेक्टर बनना था अशोक कुमार का सपना
कहते हैं अशोक कुमार ऐसे तो हमेशा बॉलीवुड के सपने देखते थे लेकिन एक अभिनेता के तौर पर नहीं। वह बॉलीवुड में एक्टर नहीं बल्कि फिल्म डायरेक्टर बनना चाहते थे।यही कारण था कि उन्होंने 1934 में मुंबई के न्यू थिएटर में बतौर लेबोरेटरी सहायक काम करना शुरू किया था। बाद में उनके बहनोई और दोस्त शशिधर मुखर्जी ने उन्हें अपने पास बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करने के लिए बुलवा लिया था।
अशोक कुमार ने यूं की बॉलीवुड में शुरुआत
1936 में बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो की फिल्म ‘जीवन नैया’ के हीरो बीमार हो जाने से हर कोई परेशान था कि आखिर अब कौन लीड रोल में काम करेगा।ऐसे में हिमांशु राय की नजर लैबोरेटरी सहायक अशोक कुमार जा कर हर गई फिर क्या था उन्होंने अशोक को फिल्म करने को कहा और वह मान गए बस यहीं से शुरू हुआ उनके करियर का आगाज।
अशोक कुमार से पहली एंट्री हीरो के चलन की हुई शुरुआत
अपनी पहली ही फिल्म में उन्होंने अभिनय के झंडे गाड़ दिए। इतना ही नहीं पहली बार हिंदी सिनेमा में एंटी हीरो किरदार का चलन भी उन्होंने ही शुरू किया था। जीवन नैया के बाद उन्होंने फिल्म अछूत कन्या थी। ये फिल्म पर्दे पर सुपरहिट हुई और अशोक के करियर को एक नया मुकाम मिला।
अशोक कुमार ने बॉम्बे टॉकीज से किया कमाल
बॉम्बे टॉकीज के बैनर के जरिए कई फिल्मों उन्होंने पर्दे पर उतारीं, जो कि उनकी दिली इच्छा थी।बैनर तले बतौर प्रोडक्शन चीफ अशोक कुमार ने 'मशाल', 'जिद्दी' और 'मजबूर' जैसी कई फिल्में बनाईं। 1949 में में उन्होंने फिल्म महल बनाई, जिसने एक्ट्रेस मधुबाला के साथ-साथ प्लेबैक सिंगर लता मंगेशकर को भी शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया था।
राज कपूर की पत्नी ने अशोक कुमार की एक झलक पाने के लिए शादी में उठाया था घूंघट
अशोक कुमार को लेकर बॉलीवुड में एक किस्सा बेहद मशहूर है कहते हैं जब राज कपूर की शादी कृष्णा से हो रही थी तो वहां अशोक भी पहुंचे थे। वह उस जमाने के सुपरस्टार थे, लेकिन जैसे ही वहां मौजूद लोगों ने चिल्लाना शुरू किया अशोक कुमार आ गए... राज कपूर की पत्नी ने अशोक की एक झलक को देखने के लिए अपना घंघूट उठा दिया था फिर क्या था इस बात से राज साहब उनसे नाराज भी हो गए थे।
किशोर कुमार की मौत से लगा था सदमा
साल 1987 की बात है, अपने जन्मदिन की तैयारी में लगे अशोक कुमार को अपने छोटे भाई और मशहूर गायक किशोर कुमार के निधन की ख़बर मिली। अशोक के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी। किशोर उम्र में अशोक कुमार से 18 साल छोटे थे। एक तरह से किशोर को उन्होनें गोद में खिलाया था। उस दिन के बाद से उन्होंने अपना जन्मदिन मनाना छोड़ दिया था। वो अक्सर कहते थे कि मैं उस दिन खुश कैसे हो सकता हूं जिस दिन मेरा भाई चला गया।
पद्मभूषण अशोक कुमार
1999 में अशोक कुमार पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया था। इतना ही नहीं 1988 में उन्हें फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। और वर्ष 1969 में फिल्म आशीर्वाद के लिए अशोक कुमार को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कर व फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था।
मुंबई में 10 दिसंबर 2001 को 90 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुके महान अभिनेता अशोक कुमार भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन मुंह में सिगार और होठों पर हमेशा मुस्कान रखने वाले इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार की यादें फैंस के दिलों में बसी है और हमेंशा बसी रहेगी।