लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: शाहबाज कश्मीर प्रलाप की जगह देश की चुनौतियों से निपटें

By शोभना जैन | Published: March 06, 2024 11:46 AM

अगर यह मदद जल्द ही मिल भी जाती है तो ऋण के बोझ से दबी अर्थव्यवस्था का फौरन बदलना असंभव है क्योंकि उसे अगले तीन वर्षों में 70 अरब डॉलर चुकाना है जो वहां के हालात देखते हुए फिलहाल तो असंभव ही लगता है।

Open in App

पाकिस्तान की उथल-पुथल भरी राजनीति, विषम आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बीच पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई और उनका वरदहस्त प्राप्त पूर्व प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तो बन गए, लेकिन क्या वे अपने 18 माह के पिछले कार्यकाल के बाद इस कार्यकाल में उन चुनौतियों से निपट पाएंगे, जिसकी वजह से वे बेहद अलोकप्रिय माने गए थे।

वैसे इस बार मतदान में विजयी होने पर अपने पहले ही संबोधन में देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, आतंकवाद का सफाया करने और पड़ोसियों के साथ समानता के सिद्धांत पर आधारित सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाने की बात तो कही लेकिन अहम बात यह है कि इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर प्रलाप भी जारी रखा।

वैसे तो शाहबाज के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को कई मायनों में उनकी पिछली गठबंधन सरकार का ही भाग दो माना जा रहा है, जबकि शाहबाज देश के हालात पर काबू पाने में नाकामयाबी की वजह से खासे अलोकप्रिय हो गए थे और इस बार तो तमाम चुनौतियां और भी उग्र हो चुकी हैं। देश में मुद्रास्फीति 30 प्रतिशत की भयावह दर पर पहुंच चुकी है। शाहबाज के पिछले कार्यकाल में आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी। भयावह मुद्रास्फीति के साथ ही पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा दी गई तीन अरब डॉलर की विशेष आर्थिक मदद और ऋण के भरोसे सरकार चल रही है। विदेशी मुद्रा भंडार अब भी 8.2 अरब डॉलर के निचले स्तर पर ही है।

निश्चय ही नई सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से आर्थिक सहायता की नई खेप लेनी होगी। अगर यह मदद जल्द ही मिल भी जाती है तो ऋण के बोझ से दबी अर्थव्यवस्था का फौरन बदलना असंभव है क्योंकि उसे अगले तीन वर्षों में 70 अरब डॉलर चुकाना है जो वहां के हालात देखते हुए फिलहाल तो असंभव ही लगता है। इसके साथ ही घोर राजनैतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान के लिए भले ही राजनैतिक अस्थिरता क्षणिक तौर पर थमी लग सकती है लेकिन क्या मौजूदा हालात और पाकिस्तान के इतिहास का आकलन करें तो यह स्थिरता स्थाई होगी?

शाहबाज की चुनौती है अस्थिर राजनैतिक गठबंधन के माहौल में आर्थिक चुनौतियों से निबटने के लिए कड़े फैसले लेने की। एक बड़ा सवाल यह है कि सेना की अब वहां क्या भूमिका रहेगी? नवाज शरीफ का सेना के साथ 36 का आंकड़ा रहा है, लेकिन लगता है कि शाहबाज नीत गठबंधन के सहयोगी दल ऐसा टकराहट के पक्ष में नहीं हैं और दूसरी तरफ इमरान खान और सेना के बीच के आंकड़े की बात करें तो अगर सेना को उम्मीद है कि इमरान खान और उनके दल ‘पीटीआई’ को वह हाशिये पर ले आएगी तो प्रेक्षकों का मानना है कि ऐसे आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। 

टॅग्स :पाकिस्तानजम्मू कश्मीरपाकिस्तान चुनाव
Open in App

संबंधित खबरें

भारतJammu-Kashmir Heat Wave: कश्मीर में पारा से बुरा हाल, जम्मू में 43 पार, 5 से 15 घंटों की बिजली कटौती!

विश्व"नया भारत आपके घर में घुसकर मारता है...", यूएन में पाकिस्तान के दूत ने पाक सहित अन्य देशों में हुई "टार्गेट किलिंग" को मुद्दा बनाते हुए कहा

क्रिकेटPCB ICC T20 World Cup 2024: टीम इंडिया के पूर्व कोच के बाद इस दिग्गज पर डोरे!, टी20 विश्व कप जीतने के लिए कुछ भी करेगा पीसीबी

भारतGeeta in MP: पाकिस्तान से 2015 में भारत लौटीं गीता ने पीएम मोदी से दो चीज मांगी, जानें क्या डिमांड

भारतBaramulla Election: जमकर हुई वोटिंग, टूटे रिकॉर्ड, जानिए बारामुल्ला में कितनी फीसदी वोटिंग हुई

विश्व अधिक खबरें

विश्वUS Election 2024: लो जी हो गया कंफर्म!, राष्ट्रपति चुनाव में इस प्रत्याशी को वोट करेंगी भारतीय-अमेरिकी निक्की हेली, आज किया खुलासा

विश्व'इतिहास याद रखेगा कि हमास के हत्यारों और बलात्कारियों को स्वर्ण पदक दिया गया', फिलिस्तीन को मान्यता पर भड़का इजरायल

विश्वPalestine state: ऐतिहासिक मौका!, फलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता, नॉर्वे, आयरलैंड और स्पेन ने किया फैसला, इजराइल ने अपने राजदूत को वापस बुलाने का आदेश दिया

विश्वChina Wuhan CoronaVirus: वुहान में कोरोना फैलने पर की रिपोर्टिंग, चार साल की सजा काटने के बाद चीनी पत्रकार झांग झान जेल से रिहा

विश्वब्लॉग: जहं-जहं चरण पड़े संतन के, तहं-तहं बंटाढार...!