समाज के प्रति सरोकार रखने वाला कोई ईमानदार व्यक्ति कभी चुनाव लड़ने का सपना भी नहीं देख सकता क्योंकि चुनाव में खर्च करने को 10-15 करोड़ रुपए उसके पास कभी होंगे ही नहीं.
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यह स्थायी निवासियों को कश्मीर में संपत्ति खरीदने का अधिकार देती है और गैर-कश्मीरियों को उससे वंचित करती है. गैर-कश्मीरियों से विवाहित स्त्रियों को भी इस अधिकार से वंचित करती है.
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सैद्धांतिक मान्यता है कि देश की राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी होती है कि मतदाताओं की सही समझ और तार्किक सोच विकसित करें. लेकिन पिछले 70 साल में हुआ ठीक उलटा.
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2018-19 में अब तक केंद्र सरकार लगभग 100 हजार करोड़ रु. की पूंजी उपलब्ध करा चुकी है. ये रकमें सरकारी बैंकों को इसलिए उपलब्ध करनी पड़ीं क्योंकि इनके द्वारा घाटा खाया जा रहा था और इनके डूबने की शंका थी.
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आईपीएल 2019 शुरू होकर कुछ वक्त गुजरा है और एक बात साफ तौर पर उभरकर सामने आ रही है कि इस मर्तबा निश्चित तौर पर किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान रविचंद्रन अश्विन और अंपायर सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं।
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हम यहां अंपायर के फैसले का कतई समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन विराट कोहली जैसे 'क्रिकेट के दूत' का कमरे में जाकर मैच रेफरी पर चिल्लाने का भी समर्थन नहीं किया जा सकता।
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