राम ठाकुर का ब्लॉग: मैच रेफरी पर चिल्लाने को लेकर कोहली का व्यवहार कितना उचित!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 30, 2019 05:30 PM2019-03-30T17:30:37+5:302019-03-30T20:57:13+5:30
हम यहां अंपायर के फैसले का कतई समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन विराट कोहली जैसे 'क्रिकेट के दूत' का कमरे में जाकर मैच रेफरी पर चिल्लाने का भी समर्थन नहीं किया जा सकता।
नोबॉल न देने पर अंपायर एस. रवि की आलोचना हो रही है। हो सकता है इसमें उनकी गलती हो। जब कोई मुकाबला अंतिम ओवर में चल रहा हो तो तनाव बनना स्वाभाविक है। इससे गलती की संभावना भी बढ़ जाती है।
हम यहां अंपायर के फैसले का कतई समर्थन नहीं कर रहे हैं। कानूनन उन्हें दंडित किया जा सकता है। लेकिन विराट कोहली जैसे 'क्रिकेट के दूत' का कमरे में जाकर मैच रेफरी पर चिल्लाने का भी समर्थन नहीं किया जा सकता।
ऐसा करते वक्त विराट को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि वह केवल किसी एक फ्रेंचाइजी टीम के कप्तान (रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर) नहीं हैं, बल्कि वह विश्व पटल पर देश की कमान संभाल रहे हैं। कोहली की यह 'हरकत' उस समय ज्यादा बुरी लगी, जब उन्होंने मैच रेफरी पर चिल्लाते हुए यह तक कह दिया कि आचार संहिता का उल्लंघन करने के जुर्म पर दंडित भी होते हैं तो उन्हें इसकी चिंता नहीं है।
क्रिकेट जगत में किसी टीम के कप्तान द्वारा मैच रेफरी पर चिल्लाने का यह मामला अनूठा ही है। दु:ख इस बात का है कि अब तक किसी भी तथाकथित दिग्गज क्रिकेटर ने विराट के बर्ताव पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मजे की बात तो यह है विरोधी कप्तान रोहित शर्मा ने भी विराट के इस खेल विरोधी व्यवहार का समर्थन करते हुए अंपायर को ही दोषी ठहराया है।