अयाज मेमन का कॉलम: खराब अंपायरिंग से बचने के लिए अंपायर करें ये काम
By अयाज मेमन | Published: March 30, 2019 05:00 PM2019-03-30T17:00:26+5:302019-03-30T17:00:26+5:30
आईपीएल में मुंबई और बेंगलुरु के बीच खेले गए मुकाबले में अंतिम गेंद पर बड़ा विवाद हुआ। एक गेंद पर सात रन की दरकार थी।
आईपीएल में मुंबई और बेंगलुरु के बीच खेले गए मुकाबले में अंतिम गेंद पर बड़ा विवाद हुआ। एक गेंद पर सात रन की दरकार थी। मलिंगा की यह गेंद नोबॉल थी, लेकिन अंपायर ने नहीं दिया। विराट कोहली ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की। मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा ने भी अंपायरों की आलोचना की है।
इस मामले की वजह से आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल के समक्ष बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मामले का एक पक्ष अगर देखें तो अंपायर को किस हद तक जिम्मेदार माना जाए। उन्हें खेल के कई मोर्चों पर ध्यान देना होता है। लेकिन सवाल यह है कि उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया। तीसरे अंपायर ने मैदानी अंपायर को सूचित क्यों नहीं किया।
आमतौर पर नो बॉल का फैसला मैदानी अंपायर ही करते हैं। अपील के बाद मामला तीसरे अंपायर को सौंपा जाता है। मेरा मानना है कि उपलब्ध टेक्नालॉजी का उपयोग किया जाना चाहिए। चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच बल्लेबाजों के लिए मुफीद है। इस पिच पर दो सौ से अधिक रन बनने चाहिए थे, लेकिन मुंबई की टीम 180 से थोड़ा ही आगे बढ़ पाई। गेंदबाज अपनी छाप छोड़ सकते थे।
आरसीबी की ओर से कलाई के स्पिनर युजवेंद्र चहल ने छाप छोड़ी। हालांकि उनका पहला ओवर काफी महंगा साबित हुआ, लेकिन इसके बाद उन्होंने आक्रामक गेंदबाजी की। यह आरसीबी और भारतीय क्रिकेट के लिए शुभ संकेत है। लेग स्पिनर को इस तरह के आक्रमण के लिए कप्तान से संपूर्ण समर्थन चाहिए। यह समर्थन चहल को कोहली से मिला।
जसप्रीत बुमराह ने भी शानदार प्रदर्शन किया। बुमराह ने ही मुकाबले का रंग बदला। उन्होंने विराट कोहली को आउट किया। एक शॉट गेंद पर उन्होंने गलती करने के लिए बाध्य किया। डेथ ओवरों में बुमराह ने ज्यादा रन नहीं दिए, जबकि डिविलियर्स पूरे फॉर्म में बल्लेबाजी कर रहे थे। बुमराह की गेंदबाजी में विविधता है। खासतौर से अंतिम ओवरों में कमाल की गेंदबाजी कर टीम को जीत दिलाई।