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ब्लॉगः देश की अर्थव्यवस्था में आम आदमी की भूमिका महत्वपूर्ण

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 22, 2023 10:26 AM

इन दिनों भारत की जीडीपी के पहली बार 4000 अरब डॉलर के पार निकलने के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्रालय और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है।

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ठळक मुद्देकोरोना काल में जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं संकट के दौर से गुजर रही थीं, तब भी भारत की अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से मजबूत थीसरकार की जनहितैषी योजनाओं की बदौलत आम आदमी को बहुत सहारा मिला थाआम आदमी का अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान है

इन दिनों भारत की जीडीपी के पहली बार 4000 अरब डॉलर के पार निकलने के दावे किए जा रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्रालय और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है।

भारत इससे पूर्व बीते वर्ष के दौरान ही ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और अब जर्मनी तथा जापान को पछाड़ कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सफर बहुत लंबा नहीं रह गया है। उल्लेखनीय है कि 4.39 ट्रिलियन डॉलर के साथ जापान तीसरे और 4.28 ट्रिलियन डॉलर के साथ जर्मनी चौथे स्थान पर है।

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.50 प्रतिशत रहने वाली है। देश की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत की दर से, तीसरी तिमाही में 6 प्रतिशत की दर से और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने वाली है। जबकि आईएमएफ का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2023 और 2024 में 6.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने वाली है।

हकीकत यह है कि दो-तीन वर्ष पूर्व कोरोना काल में जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं संकट के दौर से गुजर रही थीं, तब भी भारत की अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से मजबूत थी और सरकार की जनहितैषी योजनाओं की बदौलत आम आदमी को बहुत सहारा मिला था।जाहिर है कि आम आदमी के पास जब खर्च करने को पैसा रहता है तो अर्थव्यवस्था गतिशील बनी रहती है।

निश्चित रूप से आम आदमी का अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान है। पिछले दिनों इन्फोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने कहा था कि देश के युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए। हालांकि कई बड़ी हस्तियों ने नारायणमूर्ति के इस नजरिये का समर्थन नहीं किया था

लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश की अर्थव्यवस्था में युवाओं का बहुत बड़ा योगदान है।सवाल काम के घंटों का नहीं, उत्पादकता का है। कोई अगर दिन में 12 घंटे काम करके भी उतनी उत्पादकता नहीं दे रहा है जितना कोई 8 घंटे काम करके दे रहा है तो 8 घंटे काम करने वाला ही श्रेष्ठ माना जाएगा।

इसलिए काम को घंटों के बजाय उत्पादकता से जोड़ कर ही अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सकता है। जाहिर है कि देश की अर्थव्यवस्था अगर बढ़ रही है तो यहां के लोगों की उत्पादकता की बदौलत ही, और आगे भी उनका यही परिश्रम देश को तरक्की की राह पर अग्रसर करता रहेगा।

टॅग्स :बिजनेसभारतइकॉनोमीआर्थिक समीक्षाजापानचीन
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