PoK पर नियंत्रण खोना, 'गलती' या 'कमजोरी', विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कांग्रेस पार्टी पर बोला हमला
By आकाश चौरसिया | Published: May 16, 2024 04:09 PM2024-05-16T16:09:34+5:302024-05-16T16:36:43+5:30
'विश्वबंधु भारत' नामक कार्यक्रम में, विदेश मंत्रालय एस. जयशंकर ने भारत के कार्यों को सीमित करने वाली 'लक्ष्मण रेखा' की धारणा को खारिज कर दिया और कहा, ''मुझे नहीं लगता कि 'लक्ष्मण रेखा' जैसी कोई चीज है।
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओके) पर नियंत्रण खोने का नुकसान किसी की कमजोरी या गलती को प्रदर्शित करता है।
'विश्वबंधु भारत' नामक एक कार्यक्रम में, जयशंकर से चीन की ओर से संभावित प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया था कि अगर भारत 'लक्ष्मण रेखा' को पार करता है और PoK को भारत संघ में एकीकृत करता है, यह देखते हुए कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है।
विदेश मंत्रालय ने भारत के कार्यों को सीमित करने वाली 'लक्ष्मण रेखा' की धारणा को खारिज कर दिया और कहा, ''मुझे नहीं लगता कि 'लक्ष्मण रेखा' जैसी कोई चीज है। मुझे लगता है कि पीओके भारत का हिस्सा है और किसी की कमजोरी या गलती के कारण यह अस्थायी रूप से हमसे दूर हो गया है।''
चीन में पूर्व राजदूत के रूप में अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए कहा, जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बीजिंग के सहयोग की आलोचना की, खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के संबंध में।
उन्होंने आगे कहा, "मैं चीन का राजदूत था और हम सभी चीन की पिछली हरकतों, पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के बारे में जानते हैं। इसका पुराना इतिहास है। हमने उन्हें बार-बार बताया कि यह भूमि, न तो पाकिस्तान और न ही चीन इस पर अपना दावा करता है। यदि कोई है तो संप्रभु दावेदार, यह भारत है, आप कब्जा कर रहे हैं, आप वहां निर्माण कर रहे हैं, लेकिन कानूनी स्वामित्व मेरा है,''।
एस. जयशंकर ने इस बात पर प्वाइंट आउट करते हुए कहा कि बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच 1963 के बॉर्डर समझौता हुआ, जहां पाकिस्तान ने 5,000 किलोमीटर सीमा चीन को दे दी थी।
एस. जयशंकर ने कहा कि साल 1963 में पाकिस्तान और चीन से दोनों के बीच दोस्ती बढ़ी और पाक ने इस पाकिस्तान वाले कश्मीर वाले क्षेत्र की कमान चीन को दे दिया। उस समझौते में लिखा है कि आखिरकार चीन इस बात का सम्मान करेगा कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का है या भारत का। कभी-कभी लोग केवल क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लेते हैं, और फिर बात आती है कि इसका समाधान कैसे किया जाए।