तेज गर्मी और लू के मौसम में महीने भर से कुछ ज्यादा चलने वाले गणतंत्र के इस लोक-उत्सव में राजनैतिक पार्टियों को बीच-बीच में सांस लेने का अवसर मिल पा रहा है यह कुछ राहत की बात है. ...
भारत की सभ्यता प्राचीन काल से कर्म-प्रधान रही है। कर्म से ही सृष्टि होती है। श्रम का विलोम होता है विश्राम। ऐतरेय ब्राह्मण में श्रम का बड़ा ही मनोरम चित्रण मिलता है। ...
माता का स्वभाव है कि वह स्वयं कष्ट सहकर भी अपना सारा प्रेम शिशुओं के ऊपर उड़ेलती रहती है क्योंकि वह अपनी संततियों को अपने अस्तित्व से अलग नहीं रखती. ...
वसंत का चरम उत्कर्ष तब होता है जब शीत काल की ठिठुरन बीतने के बाद परिवेश में ऊष्मा का संचार होता है. खिलखिलाते रंग-बिरंगे फूलों के गहनों से लदी सजी प्रकृति सबके स्वागत के लिए सजीव हो उठती है। ...
शायद इसी सोच के साथ परमाणु बम जैसे संहारक अस्त्र-शस्त्र भी बनते गए। आज पृथ्वी सहित पूरी प्रकृति और सारी मनुष्यता के भविष्य पर भीषण खतरा मंडराता दिख रहा है। ...
Maha Shivratri 2024: विष को गले में स्थान दे कर शिव ‘नीलकंठ’ हुए थे। यानी उनके पास विष भी अमृत बन कर रहा। अपने मानस में सिर उठाते विष को वश में करना ही शिवत्व है। ...
बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में जिन मेधाओं ने भारतीय विचार जगत को समृद्ध करते हुए यहां के मानस के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उनमें कवि, लेखक और पत्रकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (1911-1987) की उपस्थिति विशिष्ट है। ...