ब्लॉग: देश को चाहिए एक जन-घोषणा पत्र

By गिरीश्वर मिश्र | Published: April 8, 2024 09:40 AM2024-04-08T09:40:25+5:302024-04-08T09:47:58+5:30

अगली लोकसभा के गठन के लिए आगामी चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों के बीच सभी राजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए किस्म-किस्म के उपाय करने में जुट रहे हैं।

The country needs a public manifesto | ब्लॉग: देश को चाहिए एक जन-घोषणा पत्र

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

Highlightsराजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए किस्म-किस्म के उपाय करने में जुट रहे हैंसबका एक ही तात्कालिक लक्ष्य है जन-समर्थन हासिल करनाअपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट इकट्ठा किया जा सके

अगली लोकसभा के गठन के लिए आगामी चुनाव की बढ़ती सरगर्मियों के बीच सभी राजनैतिक दल जनता को लुभाने के लिए किस्म-किस्म के उपाय करने में जुट रहे हैं। सबका एक ही तात्कालिक लक्ष्य है जन-समर्थन हासिल करना, ताकि अपनी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट इकट्ठा किया जा सके।

आज जाति, क्षेत्र और धर्म जैसे समाज-विभाजक आधारों का आसरा लेकर चुनाव की तैयारी खास-खास समुदाय के फायदे लिए सोचे जा रहे हैं। इस तरह के तुष्टिकरण की परियोजना खतरनाक है। हर नेता प्रलोभनों की इस तरह से बौछार करता है मानो वह देवताओं का खजांची कुबेर है और उनके खजाने पर उसी का कब्जा है। मतदाता को बहकावे में लाने की हर कोशिश चल रही है। चुनावी सफलता पाने के बाद नेतागण अक्सर सत्ता संभालने और उसका सुख भोगने में लग जाते हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आम जनता के सुख-दुःख पर उनका ध्यान कम ही जा पाता है। 

कटु सत्य यह भी है कि सत्तासीन सरकार के नुमाइंदे और जनता के बीच बड़ा अंतराल आता गया है। आम जन और उनके नेताओं के बीच का संवाद क्रमश: घटता गया है। संचार में आने वाले इन व्यवधानों ने राजनैतिक प्रतिनिधियों और उनके दलों के प्रभाव-क्षेत्र को प्रभावित किया है और उसी के अनुसार नेताओं की साख भी घटती-बढ़ती है।

महंगाई, बेरोजगारी और सरकारी कामकाज की धीमी गति और उबाने वाली नौकरशाही पूरी व्यवस्था की प्रामाणिकता पर प्रश्न खड़ा कर देती है। आमजन अक्सर इनसे उद्धार पाने के लिए तड़फड़ाता रहता है। नारे और वायदों से उकता चुकी जनता को जमीनी हकीकत में बदलाव की चाहत है।

आगामी चुनाव की भी यही कसौटी रहेगी। देश की जनता के मन में भी एजेंडा है। उसके जन-घोषणा पत्र में किसी एक की संतुष्टि नहीं बल्कि लोक-कल्याण सर्वोपरि है। इसके उपाय के रूप में लुंज-पुंज हो रही संस्थाओं का पुनर्जीवन, भ्रष्टाचार का उन्मूलन और सदाचार का पोषण, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण, वंचितों की मौलिक सामर्थ्य को बढ़ाना न कि उनको परोपजीवी बनाए रखना, पारदर्शिता के साथ सुशासन की व्यवस्था हो और  शिक्षा का महत्व समझ कर उसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए। 

युवा भारत के कर्णधार सरीखे लोगों- जैसे महिलाएं,  किसान, मजदूर और युवा वर्ग को सार्थक जीवन का अवसर उपलब्ध कराया जाए। भविष्य का भारत इन्हीं पर टिका है। फौरी प्रलोभन देकर वोट बटोरने की कुप्रथा अंतत: नुकसान ही करती है और इससे बचने की जरूरत है। देश एक ऐसे सशक्त भारत का स्वप्न देख रहा है जिसमें ऐसी पारदर्शी व्यवस्था हो जो लोक-कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो और सबकी सहभागिता हो।

Web Title: The country needs a public manifesto

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