केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विधेयकों पर किसानों की नाराजगी कुछ राज्यों में नजर आ रही है. इसका राजनीतिक नुकसान भी सरकार को हो सकता है, लेकिन ऐसा लगता है कि इन विधेयकों के लिए मोदी कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं. ...
अप्रैल और मई में घरबंदी के कारण अर्थव्यवस्था के आंकड़े जमा करने की प्रक्रिया भी ठप हो गई थी. सरकार ने खुद ही मान लिया है कि कोविड-19 के कारण न केवल आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है, बल्कि ‘डाटा कलेक्शन मैकेनिज्म’ भी प्रभावित हुआ है. ...
खबरिया चैनलों के इस रवैये की तुलना अगर अखबारी मीडिया से की जाए तो दोनों के बीच का अंतर साफ नजर आ जाता है. समाचार पत्रों ने इस प्रश्न पर पारंपरिक ढंग से सूचनाएं देने और उनका निष्पक्ष विश्लेषण करने का रवैया अपनाया है. ...
चमकदार राजनीतिक सफलता के बावजूद ऐसा नहीं हुआ. 2015 तक स्थिति यह थी कि केंद्र सरकार के अ-वर्ग की नौकरियों में केवल 12 फीसदी ही पिछड़े थे. ब-वर्ग में उनका प्रतिशत केवल 12.5 फीसदी ही था. यहां तक कि स-वर्ग के कर्मचारियों में उनका प्रतिशत केवल 19 फीसदी तक ...
प्रोफेसर अरुण कुमार ने बताया है कि इस समय हमारी अर्थव्यवस्था की वृद्धि-दर पांच या आठ न हो कर एक फीसदी के करीब पहुंचने के बाद अब नकारात्मक हो चुकी है. बेरोजगारी और कृषि की समस्या के पीछे यही नकारात्मक वृद्धि है, क्योंकि मांग बुनियादी तौर पर असंगठित क ...
कोरोना से लड़ने के लिए भारत में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे कड़ा लॉकडाउन किया गया. लेकिन इसके बावजूद इस देश में कोरोना महामारी नियंत्रित होने के बजाय विश्व के किसी भी देश के मुकाबले तेज रफ्तार से अपने पांव पसारती चली जा रही है. जिसे महामारी का शिखर कहते ...
विकास दुबे और उसके हथियारबंद गुर्गों ने जब आठ पुलिस वालों की गोलियों और धारदार हथियारों से हत्या कर दी तो उसके तुरंत बाद जो प्रक्रिया शुरू हुई- उस पर एक नजर डालते ही समझ में आ जाता है कि ऊपर बताए गए काम अभी तक क्यों नहीं किए जा सके, और आगे भी क्यों न ...