क्या होगा उद्धव ठाकरे का, क्या होगा एकनाथ शिंदे का। क्या महाराष्ट्र में सत्ता की सियासत लिखेगी नया अध्याय या फिर बाला साहब ठाकरे के बेटे उनके रसूख, उनके हनक और उनकी ठसक को रखेंगे बरकरार। दरअसल हिंदुत्व के राह पर चलते हुए सत्ता पाने की जुगत में लगे ठाकरे और शिंदे कभी भाजपा के साथ मिलकर एक ही मजमे यानी शिवसेना के खिलाड़ी हुआ थे, उनके सामने बतौर विरोधी दल कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी एनसीपी खड़ी थी। लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता नरेंद्र मोदी के हाथों में आयी और खेल वहीं से पलटना शुरू हो गया। दिवंगत बाल ठाकरे किसी जमाने में जिस भाजपा को कमला बाई कहा करते थे वो अटल और आडवाणी की छत्रछाया से निकल कर ऐसे हाथों में आ गई, जो अटल बिहारी बाजपेई के उस बयान से उलट थी, जिसे उन्होंने साल 1996 में उस वक्त संसद में दिया था, जब उनकी सरकार महज 13 दिनों में गिर गई थी।