India Meteorological Department: नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और मॉरीशस को समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर रहा भारत, जानें आपदा में कैसे करेगा काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 8, 2024 04:54 PM2024-04-08T16:54:21+5:302024-04-08T16:55:43+5:30

India Meteorological Department: आईएमडी के महानिदेशक महापात्र ने कहा कि भारत मौसम संबंधी प्रतिकूल घटनाओं के प्रभाव से बचाव के प्रयासों में नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और मॉरीशस के लिए बड़ा भाई और एक सलाहकार की भूमिका निभाएगा।

India Meteorological Department imd India is helping Nepal, Maldives, Sri Lanka, Bangladesh Mauritius developing warning system know how it will work in disaster | India Meteorological Department: नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और मॉरीशस को समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर रहा भारत, जानें आपदा में कैसे करेगा काम

सांकेतिक फोटो

Highlightsभारत के प्रयास संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2022 में घोषित ‘सभी के लिए समय-पूर्व चेतावनी’ का हिस्सा हैं।पूर्व चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से सबको खतरनाक मौसम, पानी या जलवायु संबंधी घटनाओं से सुरक्षित किया सके।पचास प्रतिशत देशों के पास समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली नहीं है।

India Meteorological Department: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश के साथ ही मॉरीशस को भारत समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर रहा है ताकि वह मौसम संबंधी प्रतिकूल घटनाओं के कारण जान-माल के नुकसान को कम कर सकें। आईएमडी के महानिदेशक महापात्र ने कहा कि भारत मौसम संबंधी प्रतिकूल घटनाओं के प्रभाव से बचाव के प्रयासों में नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और मॉरीशस के लिए बड़ा भाई और एक सलाहकार की भूमिका निभाएगा।

भारत के प्रयास संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2022 में घोषित ‘सभी के लिए समय-पूर्व चेतावनी’ का हिस्सा हैं जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि 2027 के अंत तक पूर्व चेतावनी प्रणालियों के माध्यम से सबको खतरनाक मौसम, पानी या जलवायु संबंधी घटनाओं से सुरक्षित किया सके। महापात्र ने कहा कि भारत समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की पहल के प्रथम चरण के तहत दुनिया भर में चिह्नित किए गए 30 देशों में से पांच की मदद कर रहा है। आईएमडी प्रमुख ने कहा, “ पचास प्रतिशत देशों के पास समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली नहीं है।

गरीब देशों, अल्प विकसित देशों और छोटे द्वीप देशों- उदाहरण के लिए मालदीव और सेशेल्स के पास मौसम संबंधी चरम घटनाओं के बारे में समय-पूर्व चेतावनी देने की क्षमता नहीं है। इस वजह से आपदाओं के कारण लोगों की मौत हो रही है और संपत्ति को भी नुकसान हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इन देशों को अपने मौसम संबंधी पर्यवेक्षण को बढ़ाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता की जरूरत है।

महापात्र के मुताबिक, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी और भारत जैसे देशों ने तकनीकी सहायता प्रदान करने का वादा किया है। आईएमडी प्रमुख ने कहा, “ हम इन पांच देशों को मौसम संबंधी वेधशालाएं स्थापित करने में मदद करेंगे तथा उन्हें हमारे संख्यात्मक मॉडल तक पहुंच की अनुमति देंगे।”

महापात्र ने कहा कि आईएमडी पूर्वानुमान और चेतावनी से जुड़ी जानकारी मुहैया करेगा और संबंधित देशों के संचार मंत्रालयों को डेटा आदान प्रदान और चेतावनी की सूचना देने के लिए एक प्रणाली विकसित करने में मदद के वास्ते इसमें शामिल किया गया है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की दिसंबर में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 101 देशों (52 प्रतिशत) के पास अब पूर्व चेतावनी प्रणालियां हैं।

डब्ल्यूएमओ के आंकड़ों से पता चलता है कि 1970 से 2019 के बीच मौसम और जलवायु से संबंधित आपदाओं की संख्या पांच गुना तक बढ़ गई है। पानी से संबंधित आपदाएं विश्व स्तर पर सबसे आम हो गई हैं, जबकि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों ने लोगों और अर्थव्यवस्थाओं को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया।

साल 1970 से 2021 के बीच दुनिया में मौसम, जलवायु या जल संबंधित करीब 12 हजार आपदाएं आईं जिससे 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 4300 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2022 के बीच आपदाओं से सालाना लगभग 41,789 लोगों की मौत हुई।

एशिया में 2013 से 2022 तक, आपदाओं के कारण 1.46 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई और 91.1 करोड़ से अधिक लोग सीधे प्रभावित हुए। ऐसा अनुमान है कि 2030 तक दुनिया हर साल मध्यम से बड़े स्तर की 560 आपदाओं का सामना कर सकती है।

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