Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार के सियासी गलियारे में यह चर्चित है कि "रोम है पोपा का और मधेपुरा है गोप का।" इसतरह से ’यादव लैंड’ के रूप में चर्चित मधेपुरा लोकसभा सीट से आज तक 'यादव' ही सांसद बने हैं। दरअसल, यहां यादव मतदाता बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में यहां का यादव मतदाता किसी भी दल के नेता के चुनावी हार-जीत का रुख तय करते हैं।
मधेपुरा लोकसभा सीट से अभी जदयू के नेता दिनेश चंद्र यादव सांसद हैं। इस बार भी जदयू ने वर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव को ही अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि उनके मुकाबले में राजद ने पूर्व सांसद डॉ. रविंद्र कुमार यादव के बेटे पुत्र डॉ. कुमार चंद्रदीप को मैदान में उतारा है। ऐसे में दोनों के बीच कड़ी टक्कर है। लेकिन यहां राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई है। उसका कारण यह है कि मधेपुरा में स्थानीय लोगों के बीच राजद उम्मीदवार डॉ. कुमार चंद्रदीप को लेकर नाराजगी देखी जा रही है।
ऐसे में लालू यादव ने अपने दिग्गज नेताओं को उन्हें मनाने में लगा दिया है। सभी वहां कैंप कर लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच तीसरे चरण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले 3 दिनों तक मधेपुरा में कैंप करेंगे और चुनाव प्रचार को धार देंगे। वहीं तेजस्वी यादव भी मधेपुरा में तीन रैलियां कर यादव लैंड में हुंकार भरेंगे। लेकिन नीतीश कुमार हर हाल में अपनी इस सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री 29 अप्रैल को मधेपुरा पहुंचेंगे और एक मई तक वे यहीं कैंप करेंगे। इस दौरान वह चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए मधेपुरा से ही
हेलीकॉप्टर से जाएंगे
उल्लेखनीय है कि मधेपुरा लोकसभा सीट से मंडल आयोग के अध्यक्ष रहे बीपी मंडल 1967 में पहले सांसद बने थे। यहां तीन यादव नेताओं का यहां दबदबा रहा था। पहले शरद यादव फिर लालू यादव और पप्पू यादव ने यहां से लोकसभा चुनाव जीतकर रिकॉर्ड कायम कर दिया था। इन तीनों में शरद यादव ने 4 बार सबसे अधिक जीत दर्ज की थी। जबलपुर से चुनाव हारने के बाद उन्हें मधेपुरा ने सिर पर बिठा लिया। जबकि लालू प्रसाद यादव दो बार सांसद रह चुके हैं। दिनेश चंद्र यादव ने 2019 में राजद के उम्मीदवार शरद यादव को करीब 3 लाख वोटो से पटखनी देकर विजयी हुए थे।
इस कारण पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा किया है। सबसे बड़ी बात है कि इस क्षेत्र में 1967 से लेकर अब तक जितने भी सांसद हुए हैं सभी यादव जाति के ही रहे है। यहां यादव छोड़कर कोई दूसरी जाति के सांसद नहीं बने हैं। चाहे वह किसी पार्टी से हो। यह अलग बात है कि इस क्षेत्र पर सभी पार्टियों का कब्जा रहा है। तीन बार कांग्रेस पार्टी भी इस क्षेत्र से चुनाव जीती है, लेकिन 1989 के बाद कांग्रेस की इस क्षेत्र में वापसी नहीं हुई। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में लगभग साढ़े तीन लाख यादव मतदाता हैं, जबकि दूसरे नंबर पर 2 लाख के करीब अल्पसंख्यक मतदाता भी हैं। यादव और अल्पसंख्यक के अलावे तीसरा नंबर पर ब्राह्मण पौने दो लाख हैं, जबकि सवा लाख के करीब राजपूत मतदाता भी हैं।
दलित मुसहर कोइरी-कुर्मी या कहा जाए तो अति पिछड़ा, पिछड़ा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का वोट 4 लाख से अधिक है। लालू प्रसाद यादव का अगर एमवाय(माय) समीकरण इस क्षेत्र में बरकरार रहे तो राजद कभी यहां से चुनाव नहीं हारती, लेकिन ऐसा नहीं दिखता है। मधेपुरा सीट पर यादव का वोट सभी पार्टियों में जाता है। यही कारण है कि जदयू यहां पर चार बार जीत दर्ज की है।