अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने और कुर्माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की अपनी मांग को लेकर आदिवासी कुडमी समाज ने शनिवार को विभिन्न स्टेशनों ट्रेन रोककर विरोध प्रदर्शन किया। ...
जातिगत आरक्षण की शुरुआत लगभग 125 साल पहले हुई। अनुसूचित जातियों और जनजातियों की दुर्दशा को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने कार्यपालिका एवं विधायिका में प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की, जो एक अस्थायी प्रावधान था और उसकी अवधि दस वर्ष थी। ...
पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में कुड़मी समुदाय के विभिन्न संगठनों ने एसटी दर्जे की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसके कारण पूरे बंगाल में रेल और सड़क परिवहन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, लगभग 85 ट्रेनों को रद्द किया गया है। ...
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सचिवालय में मीडिया से बातचीत करते हुए सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने आज अनेक ऐतिहासिक फैसले किये। राज्य ने निर्णय ले लिया है कि यहां 1932 का खतियान लागू होगा। राज्य में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। ...
मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी शरद चव्हाण ने कहा, “एसटी समुदाय के जो लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं उन्हें आरक्षण या अन्य लाभ नहीं मिलने चाहिए क्योंकि वे जनजातीय लोगों के लिए हैं। ...
देश के पहले केंद्रीकृत डेटाबेस ई-श्रम पोर्टल पर जिन 7.86 करोड़ लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं उनमें से 40.5 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 27.4 फीसदी सामान्य श्रेणी, 23.7 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी) और 8.3 फीसदी अनुसूचित जातियों (एसटी) से आते हैं। ...
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नीति आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एससी/एसटी के फंड का अन्य कामों में इस्तेमाल न हो. सीएजी को दिए अपने जवाब में राज्य वित्त विभाग ने कहा है कि एससी/एसटी मदों का स्थानांतरण रोक दिया गया है. ...