झारखंड में SC/ST और OBC के लिए 77 % आरक्षण, केंद्र से संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 15, 2022 07:36 AM2022-09-15T07:36:11+5:302022-09-15T08:13:43+5:30

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सचिवालय में मीडिया से बातचीत करते हुए सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने आज अनेक ऐतिहासिक फैसले किये। राज्य ने  निर्णय ले लिया है कि यहां 1932 का खतियान लागू होगा। राज्य में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।

Jharkhand 77 percent reservation for SC ST and OBC 1932 Khatian made the basis for locality | झारखंड में SC/ST और OBC के लिए 77 % आरक्षण, केंद्र से संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध

झारखंड में SC/ST और OBC के लिए 77 % आरक्षण, केंद्र से संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध

Highlightsराज्य की सरकारी नौकरियों में अभी तक पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता थाSC के लिए आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, ST के लिए 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया गया

रांचीः झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के मंडरा रहे खतरे के बीच बुधवार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया। साथ ही एससी और एसटी वर्ग के आरक्षण में दो-दो प्रतिशत की वृद्धि कर दी है। इसके साथ ही सरकार ने प्रदेश में ‘स्थानीयता’ तय करने के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाने का निर्णय लिया है।

राज्य की सरकारी नौकरियों में अभी तक पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता था जिसे बढ़ाते हुए 27 प्रतिशत कर दिया गया। सरकार के फैसले पर अमल होने के साथ राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का कुल आरक्षण 77 प्रतिशत हो जाएगा।

झारखंड सरकार की मंत्रिमंडल सचिव वंदना डाडेल ने बुधवार को  बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के फैसले लिये गये। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने ‘स्थानीयता’ की नीति 1932 के खतियान के आधार पर तय करने और पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने समेत विभिन्न वर्गों के लिए कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने के लिए अलग-अलग विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किये जाने की स्वीकृति प्रदार की।

डाडेला ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने दोनों फैसलों से संबधित दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित कराने और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजने का भी निर्णय लिया। डाडेल ने बताया कि मंत्रिमंडल ने केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करने का निर्णय लिया गया कि वह इन दोनों कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे जिससे इन्हें देश की किसी अदालत में चुनौती न दी जा सके।

उन्होंने बताया कि स्थानीयता की नीति में संशोधन के लिए लाये जाने वाले नये विधेयक का नाम ‘झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022’ होगा।

वंदना डाडेल ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य में स्थानीय लोगों को परिभाषित किया जायेगा और  मंत्रिमंडलीय फैसले के अनुसार अब राज्य में 1932 के खतियान में जिसका अथवा जिसके पूर्वजों का नाम दर्ज होगा उन्हें ही यहां का स्थानीय निवासी माना जायेगा। उन्होंने बताया कि जिनके पास अपनी भूमि या संपत्ति नहीं होगी उन्हें 1932 से पहले का राज्य का निवासी होने का प्रमाण अपनी ग्राम सभा से प्राप्त करना होगा। इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने विभिन्न वर्गों के लिए कुल आरक्षण 77 प्रतिशत तक करने का निर्णय लिया।

स्थानीयता नीति पर राज्य के आदिवासी संगठनों ने लगातार 1932 खतियान को आधार बनाने की मांग की थी क्योंकि उनके अनुसार राज्य के भूमि रिकॉर्ड का अंग्रेज सरकार ने अंतिम बार 1932 में सर्वेक्षण किया था। इससे पूर्व झारखंड की रघुवर दास सरकार ने स्थानीयता की नीति तय करते हुए वर्ष 2016 में 1985 को राज्य की स्थानीयता तय करने के लिए विभाजक वर्ष माना था, जिसके खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सचिवालय में मीडिया से बातचीत करते हुए सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने आज अनेक ऐतिहासिक फैसले किये। राज्य ने  निर्णय ले लिया है कि यहां 1932 का खतियान लागू होगा। राज्य में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। इस राज्य में कर्मचारियों को उनका हक मिलेगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार की स्थिरता को लेकर विपक्षी माहौल को दूषित कर रहे हैं। सोरने ने दावा किया, ‘‘ मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि मेरी सरकार को कोई खतरा नहीं है।’’ 

भाषा इनपुट के साथ

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