धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को नहीं मिला चाहिए एसटी आरक्षण का लाभ, आरएसएस संबद्ध संगठन ने कहा- कोटा का लाभ उठा रहे 80 प्रतिशत धर्मान्तरित हैं

By भाषा | Published: June 21, 2022 07:24 AM2022-06-21T07:24:34+5:302022-06-21T08:07:01+5:30

मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी शरद चव्हाण ने कहा, “एसटी समुदाय के जो लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं उन्हें आरक्षण या अन्य लाभ नहीं मिलने चाहिए क्योंकि वे जनजातीय लोगों के लिए हैं।

People who have converted should not get benefit of ST reservation RSS affiliated organization | धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को नहीं मिला चाहिए एसटी आरक्षण का लाभ, आरएसएस संबद्ध संगठन ने कहा- कोटा का लाभ उठा रहे 80 प्रतिशत धर्मान्तरित हैं

धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को नहीं मिला चाहिए एसटी आरक्षण का लाभ, आरएसएस संबद्ध संगठन ने कहा- कोटा का लाभ उठा रहे 80 प्रतिशत धर्मान्तरित हैं

Highlightsमोर्चा ने संविधान के अनुच्छेद 341 का जिक्र करते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन किया तो उसकी एससी का दर्जा समाप्त हो जाएगामोर्चा ने कहा कि अगर किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो उसे अल्पसंख्यक के रूप में गिना जा सकता है, लेकिन आदिवासी नहीं

नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध जनजाति सुरक्षा मोर्चा ने सोमवार को कहा कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण का लाभ उन लोगों को नहीं मिलना चाहिए जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है। भोपाल स्थित संगठन ने दावा किया कि उसने अपनी मांग के समर्थन में देश के 170 जनजातीय बहुल जिलों में रैलियां आयोजित की हैं और विभिन्न दलों के 550 सांसद इसके समर्थन में हैं।

मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी शरद चव्हाण ने कहा, “एसटी समुदाय के जो लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं उन्हें आरक्षण या अन्य लाभ नहीं मिलने चाहिए क्योंकि वे जनजातीय लोगों के लिए हैं। उनसे ऐसे सभी फायदे वापस ले लेने चाहिए।” शरद चव्हाण ने दावा किया कि एसटी कोटा का लाभ उठाने वालों में से 80 प्रतिशत धर्मान्तरित हैं।

संविधान के अनुच्छेद 341 की तर्ज पर, जिसके तहत अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों को आरक्षण दिया गया है और जिसमें कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन किया तो उसकी एससी का दर्जा समाप्त हो जाएगा। अनुसूचित जनजातियों से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 342 में भी ऐसा ही संशोधन होना चाहिए।

शरद चव्हाण ने आगे कहा कि एसटी समुदाय अनादि काल से देश के विभिन्न हिस्सों में छोटे और बड़े समूहों में रह रहे हैं और दावा किया कि वे "सनातन परंपरा" का निष्ठापूर्वक पालन कर रहे हैं। एक बार जब वे इस्लाम और ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं, तो वे प्रकृति पर आधारित अपनी विशिष्ट जीवन शैली, संस्कृतियों और त्योहारों को छोड़ देते हैं। इसलिए वे अपनी पहचान छोड़ देते हैं, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यक के रूप में गिना जा सकता है, लेकिन आदिवासी नहीं।

उन्होंने कहा कि आदिवासियों के बीच धर्मांतरण का यह मुद्दा अविभाजित बिहार के पूर्व सांसद दिवंगत कांग्रेस नेता कार्तिक उरांव ने उठाया था। चव्हाण ने कहा कि उन्होंने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार को 350 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन भी सौंपा था।

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