शास्त्रों की मानें तो चंद्र मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की उपासना के लिए लोग प्रदोष का व्रत करते हैं। यह व्रत कृष्ण व शुक्ल दोनों पक्ष में होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से गोदान जितने पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही आपको मृत्यु पश्चात उत्तम लोक प्राप्त होता है और अपने सांसारिक जीवन में भी आप निरोगी व स्वस्थ बने रहते हैं। सूर्यास्त से पूर्व स्नान आदि के बाद घर के ईशान कोण में स्थापित मंदिर में बैठकर पूजन करना चाहिए। Read More
हिन्दू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के संकटों से छुटकारा मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत कृष्ण प ...
गोवत्स का ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता है। इस व्रत में गीली मिट्टी की गाय, बछड़ा, बाघ या बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रखी जाती हैं और उनकी विधिवत पूजा की जाती है। ...
Pradosh Vrat: एकादशी की तरह हर महीने में दो प्रदोष व्रत भी पड़ते हैं। हर मास के दोनों पक्ष में एक-एक बार प्रदोष पड़ता है। दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत की महिमा और इसका महत्व भी अलग-अलग होता है। ...
Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत को लेकर तिथियों और शुभ मुहूर्त की बात करें तो त्रयोदशी तिथि का आरंभ 26 सितंबर को दिन में 11.02 बजे से हो रहा है और यह 27 तारीख को सुबह 7.32 बजे तक रहेगा। ...