क्या महत्व है प्रदोष व्रत का, पढ़ें प्रदोष व्रत कथा

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: November 13, 2019 11:34 AM2019-11-13T11:34:21+5:302019-11-13T12:05:09+5:30

स्कंद पुराण के अनुसार जो कोई प्रदोष व्रत करता है और इसकी कथा सुनता या पढ़ता है उसकी तमाम समस्याएं दूर होती हैं।

Pradosh Vrat katha in Hindi | क्या महत्व है प्रदोष व्रत का, पढ़ें प्रदोष व्रत कथा

क्या महत्व है प्रदोष व्रत का, पढ़ें प्रदोष व्रत कथा


Description - हिन्दू धर्म के अनुसार  प्रदोष व्रतभगवान शिव की उपासना के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के संकटों से छुटकारा मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है. इतना ही नहीं इस व्रत को रखने से आर्थिक संकट से निवारण मिलता है. इस व्रत में कथा सुनने और पढ़ने का विशेष महत्व है. 

प्रदोष व्रत कथा

स्कंद पुराण में वर्णन किये गये कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी रोज अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती। ऐसे ही एक दिन वो जब भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे एक अत्यंत सुन्दर बालक दिखा। वह बालक उदास था और अकेला बैठा हुआ था। वह विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। हालांकि, ब्राह्मणी नहीं जानती थी कि वह बालक कौन है।

एक युद्ध में शत्रुओं ने धर्मगुप्त के पिता को मार दिया था और उसका राज्य हड़प लिया था। इसके बाद उसकी माता की भी मृत्यु हो गई। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और पालन-पोषण किया। वह महिला उस बालक को वैसा ही स्नेह देती जैसा वह अपने बच्चे को देती थी।

कुछ समय बाद ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देव मंदिर गई। यहीं उनकी भेंट ऋषि शांडिल्य से हुई। ऋषि ने बताया कि जो बालक मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है। यह सुनकर महिला उदास हो गई। इसे देख ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि की आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया।

दोनों बालक कुछ दिनों बाद जब बड़े हुए तो वन में घूमने निकले गये। वहां उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त 'अंशुमती' नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे।

गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए। कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता को पता चला कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है।

इसके बाद भगवान शिव की आज्ञा और आशीर्वाद से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करा दिया। राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर फिर से अपना शासन स्थापित किया। मान्यता है कि ऐसा ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंद पुराण के अनुसार जो कोई प्रदोष व्रत करता है और इसकी कथा सुनता या पढ़ता है उसकी तमाम समस्याएं दूर होती हैं।

English summary :
According to Hindu religion, Pradosh fast is kept for the worship of Lord Shiva. Devotees kept this fast on Trayodashi tithi according to hindu calendar date.


Web Title: Pradosh Vrat katha in Hindi

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