गोवत्स द्वादशी 2019: कब है गोवत्स द्वादशी, जानें पूजा की विधि और व्रत का महत्व

By मेघना वर्मा | Published: October 14, 2019 02:24 PM2019-10-14T14:24:15+5:302019-10-14T14:24:15+5:30

गोवत्स का ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता है। इस व्रत में गीली मिट्टी की गाय, बछड़ा, बाघ या बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रखी जाती हैं और उनकी विधिवत पूजा की जाती है।

govatsa dwadashi date 2019 govatsa dwadashi kab hai importance significance puja vidhi katha mantra | गोवत्स द्वादशी 2019: कब है गोवत्स द्वादशी, जानें पूजा की विधि और व्रत का महत्व

गोवत्स द्वादशी 2019: कब है गोवत्स द्वादशी, जानें पूजा की विधि और व्रत का महत्व

Highlightsगोवत्स द्वादशी व्रत पुत्र के लिए रखा जाता है।हिन्दू पुराणों में गाय को मां का दर्जा दिया गया है।

हिन्दू धर्म में गाय को माता का रुप दिया गया है। कहते हैं गाय की पूजा करने से इंसान के सभी पाप कट जाते हैं। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को गोवत्स द्वादशी पर भी गाय और उनके बच्चों के पूजने के इस उत्सव को भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। गोवत्स द्वादशी के नाम से जाने जाना वाला ये पर्व संतान के लिए किया जाता है। 

गुजरात में इस गोवत्स द्वादशी को वाघ बरस भी बुलाते हैं। एकादशी के बाद आने वाली ये द्वादशी इस साल 25 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन गाय माता और बछड़े की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ये पूजा गोधुली बेला में की जाए जब सूर्य देवता पूरी तरह ना निकले हों तो इसका फल शुभ होता है। गोवत्स द्वादशी के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और विधि विधान से पूजा करती हैं।

गोवत्स द्वादशी का महत्व

गोवत्स का ये व्रत पुत्र के लिए किया जाता है। इस व्रत में गीली मिट्टी की गाय, बछड़ा, बाघ या बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रखी जाती हैं और उनकी विधिवत पूजा की जाती है। इस दिन विधि विधान से पूजा पाठ करके अपने बेटे के लिए मंगल कामना करते हैं। 

गौ माता का महत्व

भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित हैं।

गोवत्स की व्रत विधि

1. इस दिन महिलाएं घर आंगन लीप कर चौक पूरती हैं।
2. उसी चौक में गाय खड़ी करके चंदन अक्षत, धूप, दीप नैवैद्य आदि से विधिवत पूजा की जाती हैं।
3. पूजा में धान या चावल का इस्तेमाल गलती से भी ना करें। 
4. पूजन के लिए आप काकून के चावल का इस्तेमाल कर सकते हैं।


5. इस दिन खाने में चने की दाल जरूर बनती है।
6. व्रत करने वाली महिलाएं गोवत्स द्वादशी के दिन गेहूं, चावल आदि जैसे अनाज नहीं खा सकतीं।
7. साथ में उनका दूध या दूध से बनी चीजें खाना भी वर्जित होता है।

English summary :
This festival of worship of cows and their children is celebrated with great pomp in India even on Govts Dwadashi on the Krishna Paksha of Kartik month. This festival, known as Govts Dwadashi, is done for children.


Web Title: govatsa dwadashi date 2019 govatsa dwadashi kab hai importance significance puja vidhi katha mantra

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