2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचन्द गांधी को दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। वे सत्य और अहिंसावादी थे। उन्होंने 200 सालों की अंग्रेजी हुकुमत को अहिंसावादी अंदोलनों से उखाड़ फेंका। इसमें स्वदेशी अंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह जैसे प्रमुख आंदोलन हैं। आजादी के वक्त वह भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के खिलाफ थे। आजादी के बाद 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। Read More
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश में स्वराज के साथ राम राज के भी प्रबल आकांक्षी थे और इन दोनों के लिए उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक कुछ भी उठा नहीं रखा। इससे आगे की बात करें तो वे इन दोनों को अन्योन्याश्रित मानते थे और उनके मन-मस्तिष्क में इन दोनों की तस् ...
History 30 January Today: जीवनकाल में अपने विचारों और सिद्धांतों के कारण चर्चित रहे मोहन दास करमचंद गांधी का नाम दुनियाभर में सम्मान से लिया जाता है। ...
1897 में आज ही के दिन कटक में धर्मपरायण माता प्रभावती देवी और वकील पिता जानकीनाथ बोस के पुत्र के रूप में जन्मे सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व व कृतित्व में बचपन से ही वीरता व बुद्धिमत्ता का मणिकांचन संयोग था। ...
साल 2023 कुछ खट्टी-मिठी यादों के साथ इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। बीते साल भारत ने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल की, जिस पर हर भारतीय को ताउम्र गर्व रहेगा। ...
मदन मोहन मालवीय को गांधीजी ने ‘महामना’ कहकर संबोधित किया था और वे असाधारण व्यक्तित्व की महिमा से सम्पन्न महामना सही अर्थों में जन-नायक थे। वे भारत में एक सामाजिक–सांस्कृतिक परिवर्तन के सूत्रधार बने। ...
भारतीय लोकतंत्र अब परिपक्व हो रहा है। संसार में थोड़ी-थोड़ी धाक भी जमने लगी है। नई पीढ़ी ने अपनी प्रतिभा के बूते कमोबेश सभी देशों में अपने हुनर, कौशल और ज्ञान से अलग पहचान बनाई है। ...
नेहरूजी की गांधीजी और सरदार पटेल से पहली मुलाकात 1916 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में हुई थी, जिसमें लोकमान्य तिलक समेत उस दौर के सारे दिग्गज नायक पधारे थे और कांग्रेस में एकता का एक नया दौर दिखा था। तब से आखिरी सांस तक उनका रिश्ता बना रहा। ...