महाकुंभ या कुंभ मेला हर 12 वर्षों में चार स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक पर आयोजित किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं और राक्षसों का युद्ध 12 दिनों तक चला था। स्वर्ग का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के समान होता है। इसलिए महाकुंभ 12 वर्षों में चार बार किया जाता है।आदि शंकराचार्य द्वारा पहली इस महा उत्सव की शुरुआत की गई थी। उन्होंने ही चार मुख्य तीर्थों को कुंभ मेले के चार पीठ के रूप में स्थापित कराया था। कुंभ मेले के दौरान देश दुनिया से दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। सभी का एक ही मकसद होता है पवित्र स्नान में डुबकी लगाना। मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान पवित्र स्नान करने से पिछले और इस जन्म के सभी पाप धुल जाते हैं। Read More
Haridwar Kumbh Mela 2021: कुंभ मेला और कुंभ स्नान का हिंदू मान्यताओं में विशेष महत्व है। हर 12 साल में होने वाले महाकुंभ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। ऐसे में अगर आप भी यहां जा रहे हैं तो कुछ नियम जरूर जान लें। ...
पूर्व सांसद उदित राज ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार द्वारा किसी भी तरह की धार्मिक शिक्षा या अनुष्ठान के लिए पैसा नहीं दिया जाना चाहिए। सरकार का अपना कोई धर्म नहीं होता है। उप्र सरकार इलाहाबाद में कुंभ मेले के आयोजन पर 4200 करोड़ रुपये खर्च करती है, वह भी गलत ...
साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी महाराज ने शुक्रवार को कहा कि कुंभ के मुहूर्त को किसी भी स्थिति में टाला नहीं जा सकता और आगामी कुंभ मेला वर्ष 2021 में ही तय तिथि के अनुसार होगा। ...
कल हरिद्वार में अखाडा परिषद के साधु संतों के साथ विचार विमर्श करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि 2021 में कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के पर्व पर 11 मार्च को होगा जबकि दूसरा शाही स्नान सोमवती अमावस्या पर 12 अप्रैल को, तीसरा बैसाखी पर 14 अप्रैल ...
यहां चल रहे माघ मेले के सबसे प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर शुक्रवार शाम तक एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 20 स्नान घाट बनाए हैं। मेला अधिकारी रजनीश मिश्रा ने बताया कि मौन ...
कुम्भ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने बताया कि मेले के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर मेला प्रशासन संगम क्षेत्र पर खास ध्यान दे रहा है क्योंकि महाशिवरात्रि सोमवार को पड़ने से ज्यादा से ज्यादा लोग संगम की ओर आएंगे। ...
कुंभ के मेले में काम करने वाले ये सारे कर्मचारी ठेके पर काम कर रहे हैं. इनका यह काम भी तब तक है, जबतक यह मेला चल रहा है. फिर ये बेकार हो जाएंगे. फिर रोज सबेरे किसी नए काम की तलाश होगी. इन कर्मचारियों, जिनमें से नब्बे प्रतिशत से अधिक दलित हैं, की समस् ...