हर साल भारत में 14 जनवरी का दिन मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदूओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में जाने को संक्रांति कहते हैं। इसदिन कुछ खास उपायों से जीवन भर सूर्य की कृपा बनी रहती है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव की आराधना करते हैं। संक्रांति वाले दिन पवित्र नदियों के किनारे सूर्य देव को अर्घ्य देकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है, इसके साथ ही श्रद्धालु सूर्य मंदिरों में जाकर उनकी पूजा-अर्चना भी करते हैं। तो आज हम आपको भारत के कुछ प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों के बारे में बताएंगे, ताकि इस संक्रांति आप यहां जाकर सूर्य कृपा प्राप्त कर सकें।
कोणार्क सूर्य मंदिर
जब कभी सूर्य देव के मंदिरों के बारे में जिक्र होता है तो सबसे पहला ख्याल कोणार्क सूर्य मंदिर का आता है। सूर्य देव सात घोड़ों की सवारी करते थे। रथ के आकार में बना कोणार्क सूर्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है। इस सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। हालांकि यहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है। यहां की सूर्य प्रतिमा को पुरी के जनगन्नाथ मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। कोणार्क मंदिर ओडिशा राज्य में पुरी के निकट स्थित है।
ब्रह्मन्य देव मंदिर, मध्य प्रदेश
यह सूर्य मंदिर मध्य प्रदेश के उन्नाव में स्थित है। इस मंदिर में सूर्य दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर की अपनी मान्यताएं और परंपरा है। मंदिर में हर रोज श्रद्धालुओं का तातां लगा रहता है क्योंकि मंदिर में ऐसी मान्यता है कि किसी भी प्रकार का चर्म रोग हो तो वह इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से ठीक हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन यहां काफी भीड़ रहती है।
असम का सूर्य मंदिर
असम के सूर्य प्रहर में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। मंदिर के अवाला यह जगह हिल स्टेशन के लिए भी जानी जाती है। यहां पर बना सूर्य मंदिर दर्शकों को काफी आकर्षित करता है। यहां पर सूर्य देव की अलग-अलग आकृति वाली प्रतिमाएं विराजित हैं।
औंगारी सूर्य मंदिर
नालंदा का प्रसिद्ध सूर्य धाम औंगारी और बड़गांव के सूर्य मंदिर देश भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां के सूर्य तालाब में स्नान कर मंदिर में पूजा करने से कुष्ठ रोग सहित कई असाध्य व्याधियों से मुक्ति मिलती है। प्रचलित मान्यताओं के कारण बिहार के प्रसिद्द त्यौहार छठ पर इस मंदिर में भक्तों का भारी जमावड़ा देखने को मिलता है।
सूर्य मंदिर रांची
रांची से 39 किलोमीटर की दूरी पर रांची टाटा रोड़ पर स्थित है यह सूर्य मंदिर। यह मंदिर बुंडू के समीप है, 7 संगमरमर से निर्मित इस मंदिर का निर्माण 18 पहियों और 7 घोड़ों के रथ पर विद्यमान भगवान सूर्य के रूप में किया गया है। 25 जनवरी को हर साल यहां विशेष मेले का आयोजन होता है।
झालावाड़ सूर्य मंदिर, राजस्थान
झालावाड़ का दूसरा जुड़वा शहर झालरापाटन को सिटी ऑफ वेल्स यानी घाटियों का शहर भी कहा जाता है। शहर के मध्य में स्थित यह सूर्य मंदिर झालरापाटन का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। वास्तुकला की दृष्टि से भी यह मंदिर अहम है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में मालवा के परमार वंशीय राजाओं ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है। इसे 'पद्मनाभ मंदिर' भी कहा जाता है। यह मंदिर राजस्थान में स्थित है।
सूर्य मंदिर, मोढ़ेरा
यह मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। यहां पर इसके संबंध में एक शिलालेख भी मिलता है। सोलंकी सूर्यवंशी थे, वे सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे, इसलिए उन्होंने अपने आराध्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया। इस प्रकार मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर ने आकार लिया।