रांचीः झारखंड हाईकोर्ट से भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने बाबूलाल से जुडे़ दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से चलाई जा रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
आज इस मामले में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने हेमंत सोरेन सरकार को नोटिस जारी करने के बाद सुनवाई की अगली तारीख 13 जनवरी, 2021 मुकर्रर कर दी. आज की सुनवाई के दौरान अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
यहां उल्लेखनीय है कि बीते बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाने के लिए आज की तिथि निर्धारित की थी. इससे पूर्व भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और बिरेंची नारायण की ओर से दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई थी.
करीब 3 घंटे तक बहस के बाद खंडपीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया था
बुधवार को इस मामले में करीब 3 घंटे तक बहस के बाद खंडपीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को इस मामले में बाबूलाल मरांडी और भाजपा की याचिका पर एक साथ सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन, चुनाव आयोग की ओर से आकाशदीप कुमार और भाजपा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमन और बाबूलाल मरांडी के तरफ से अधिवक्ता आरएन सहाय ने अपना अपना पक्ष रखा था.
बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता की ओर से विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दलबदल पर लिए गए संज्ञान को गलत बताते हुए संज्ञान निरस्त करने के पक्ष में दलीलें दी गई थी. इस महत्वपूर्ण याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में लगभग 3 घंटे से ज्यादा देर तक सुनवाई चली थी.
दल बदल के मामले में लिए गए संज्ञान के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
बाबूलाल मरांडी की ओर से दायर मूल याचिका में झारखंड विधानसभा के विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उनके दल बदल के मामले में लिए गए संज्ञान के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. दरअसल, बाबूलाल मरांडी की ओर से दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया गया था. विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस की वैधता पर बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाये थे. उनका कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष इस तरह के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी नहीं कर सकते हैं.
दूसरी तरफ, सरकार का कहना है कि विधानसभा के रूल्स में विधानसभा अध्यक्ष को इसका अधिकार है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य बने बाबूलाल मरांडी ने बाद में अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया. भाजपा के विधायकों ने उन्हें अपना नेता चुना. मुख्य विपक्षी पार्टी के विधायक दल के नेता के रूप में उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने का आग्रह भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष से किया.
विधानसभा अध्यक्ष ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दी और इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए तत्कालीन झाविमो प्रमुख के साथ-साथ उनकी पार्टी के दो विधायकों बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को नोटिस जारी कर अपनी कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा. बाबूलाल मरांडी झारखंड हाइकोर्ट पहुंच गये और विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस जारी करने के अधिकार को चुनौती दे डाली. इसी मामले में हाइकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है.