नयी दिल्ली, नौ अगस्त उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पुलिस सुधारों की वकालत करते हुए सोमवार को कहा कि देश में पुलिस प्रणाली इस तरह से विकसित की जानी चाहिए, ताकि पुलिसकर्मी जरूरतमंद लोगों की एक मित्र की तरह मदद कर सकें।
नायडू ने कहा कि जो लोग पुलिस सुधारों की बात करते हैं उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है क्योंकि कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग मौजूदा व्यवस्था को ही बनाए रखने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उपराष्ट्रपति ने देश के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा, " उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि मानवाधिकारों के हनन की शुरुआत पुलिस थानों से होती है।"
रमण ने रविवार को कहा था कि थानों में मानवाधिकारों के हनन का सबसे ज्यादा खतरा है क्योंकि हिरासत में यातना और अन्य पुलिसिया अत्याचार देश में अब भी जारी हैं तथा ‘‘विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भी ‘थर्ड डिग्री’ की प्रताड़ना से नहीं बख्शा जाता है।’’ उन्होंने देश में पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की भी पैरवी की।
उपराष्ट्रपति ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री के जे अलफोन्स द्वारा संपादित पुस्तक ‘एक्सेलेरेटिंग इंडिया : 7 इयर्स ऑफ मोदी गवर्नमेंट’ के विमोचन के अवसर पर यह बात कही।
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा, "पुलिस थानों और पुलिस व्यवस्था को जरूरतमंद लोगों का मित्र होना चाहिए। हमें यह परिवर्तन लाना ही होगा। हमारा उद्देश्य लोगों को खुशहाल बनाना होना चाहिए क्योंकि एक खुशहाल राष्ट्र ही एक संपन्न राष्ट्र बन सकता है।"
उन्होंने कहा, " जब कभी लोग पुलिस सुधारों की बात करते हैं, उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग हमेशा ही इसका विरोध करेंगे। वे मौजूदा व्यवस्था की रक्षा करने की कोशिश करते हैं। न केवल तीन तलाक, कराधान सुधार, प्रशासनिक सुधार, कोई भी सुधार हो उससे हमेशा ही कुछ लोगों को परेशानी होगी।"
नायडू ने कहा कि सुधारों से समाज के कई वर्गों को लाभ होता है और उन्हें बेहतर अवसर मिलते हैं।
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