Pariksha Pe Charcha 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीपरीक्षा पे चर्चा 2024 में हिस्सा लिया और छात्रों से विचार शेयर किए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "किसी भी शिक्षक के मन में जब ये विचार आता है कि मैं छात्र के इस तनाव को कैसे दूर करूं?... अगर शिक्षक और छात्र का नाता परीक्षा के कालखंड का है तो सबसे पहले वो नाता सही करना चाहिए। छात्र के साथ आपका नाता पहले दिन से परीक्षा आने तक निरंतर बढ़ते रहना चाहिए तो शायद परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी। आज मोबाइल का जमाना है... क्या कभी किसी छात्र ने आपको फोन किया है?... जिस दिन आप पाठ्यक्रम से आगे निकलकर उससे नाता जोड़ोगे तो वो अपनी छोटी-मोटी समस्याओं में भी आपसे अपनी मन की बात करेगा।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपके दोस्त से आपको किस चीज की स्पर्धा है? मान लीजिए 100 नंबर का पेपर है। आपका दोस्त अगर 90 नंबर ले आया तो क्या आपके लिए 10 नंबर बचे? आपके लिए भी 100 नंबर हैं। आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी है आपको खुद से स्पर्धा करनी है... उससे द्वेष करने की जरूरत नहीं है। असल में वो आपके लिए प्रेरणा बन सकता है। अगर यही मानसिकता रही तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त ही नहीं बनाएंगे।" इस कार्यक्रम में करीब 4,000 छात्रों को प्रधानमंत्री से बातचीत करने का मौका मिला। 205 लाख छात्र, 14 लाख शिक्षक और 5.6 लाख अभिभावक शामिल हुए।
Pariksha Pe Charcha 2024: जानें 20 बड़ी बातें
जिस भारत मंडपम में विश्व के बड़े-बड़े नेताओं ने भविष्य की चर्चा की थी उसी स्थान पर आज भारत के भविष्य की चर्चा परीक्षा की चिंताओं के साथ करने वाले हैं।
छात्र पहले से कहीं अधिक नवोन्मेषी हो गए हैं, ये कार्यक्रम मेरे लिए भी एक परीक्षा की तरह है।
प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए।
दूसरों से नहीं, खुद से प्रतिस्पर्धा करें: प्रधानमंत्री मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ में छात्रों से कहा।
आपको किसी बच्चे की तुलना किसी दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उसके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
कुछ माता-पिता अपने बच्चे के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ मानते हैं, यह ठीक नहीं है।
शिक्षक का काम केवल नौकरी करना या नौकरी बदलना नहीं है, उसका काम जिंदगी को संवारना और उसे सामर्थ्य देना है। शिक्षक ऐसे ही परिवर्तन लाते हैं।
आपमें से बहुत सारे छात्र मोबाइल फोन का उपयोग करते होंगे। कुछ लोग होंगे जिन्हें घंटों तक मोबाइल फोन की आदत हो गई होगी।
मोबाइल जैसी चीज जिसे रोजमर्रा देखते हैं उसे भी चार्ज करना पड़ता है। अगर मोबाइल को करना पड़ता है तो इस शरीर को करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए?
परीक्षा पे चर्चा का ये सांतवा एपिसोड है।
ये प्रश्न हर बार आया है और अलग-अलग तरीके से आया है।
इसका मतलब ये है कि सात सालों में सात अलग-अलग बैच इन परिस्थितियों से गुजरे हैं और हर नए बैच को भी इन्हीं समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
विद्यार्थियों के बैच बदलते हैं लेकिन शिक्षकों के बैच नहीं बदलते।
यदि शिक्षकों ने मेरे अब तक के एपिसोड्स की बातों का कुछ न कुछ अपने स्कूल में संबोधन किया हो तो शायद हम इस समस्या को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं।
आप उस स्थान पर आए हैं, जहां भारत मंडपम के प्रारंभ में दुनिया के सभी बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने दो दिन बैठकर विश्व के भविष्य की चर्चा की थी।
आज आप भारत के भविष्य की चिंता अपनी परीक्षाओं की चिंताओं के साथ-साथ करने वाले हैं।
एक प्रकार से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम मेरे लिए भी परीक्षा होता है।
आपमें से बहुत से लोग हैं जो हो सकता है मेरी परीक्षा लेना चाहते हों।
परीक्षा के तनाव को विद्यार्थियों के साथ-साथ पूरे परिवार और टीचर को मिलकर एड्रेस करना चाहिए।
205 लाख छात्र, 14 लाख शिक्षक और 5.6 लाख अभिभावक शामिल हुए।
अगर जीवन में चुनौती और स्पर्धा ना हो, तो जीवन प्रेरणाहीन और चेतनाहीन बन जाएगा।
इसलिए Competition तो होना ही चाहिए, लेकिन Healthy Competition होना चाहिए।
हमें किसी भी प्रेशर को झेलने के लिए खुद को सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। दबाव को हमें अपने मन की स्थिति से जीतना जरूरी है। किसी भी प्रकार की बात हो, हमें परिवार में भी चर्चा करनी चाहिए।