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औषधीय गुण वाली गोलियों की जब्ती के मामले में एनडीपीएस कानून लागू नहीं होता : न्यायालय

By भाषा | Updated: December 13, 2021 21:25 IST

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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें नशीली दवाओं के कथित मामले में एक आरोपी को दी गई जमानत रद्द कर दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने बड़े पैमाने पर जिन गोलियों की जब्ती की उनमें पौरुष शक्ति बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियां या दवाएं थीं और एनडीपीएस कानून के प्रावधान के तहत मामला नहीं बनता है।

शीर्ष अदालत ने निचली अदालत द्वारा पिछले साल नवंबर में आरोपी को जमानत देने के आदेश को बहाल करते हुए कहा कि न तो आरोपी के कार्यालय से और न ही आवास से गोली जब्त की गई थी।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि मामले के एक अन्य आरोपी को निचली अदालत की संतुष्टि के आधार पर जमानत पर रिहा किया जाए। साथ ही कहा कि आरोप पत्र पहले ही दाखिल किए जा चुके हैं और आरोपी दो साल से अधिक समय से हिरासत में है।

पीठ ने कहा कि नमूनों के मात्रात्मक विश्लेषण पर अब तक किसी भी स्पष्टता के अभाव में अभियोजन पक्ष प्रारंभिक चरण में यह नहीं कह सकता है कि याचिकाकर्ताओं के पास से एनडीपीएस कानून के तहत इतनी मात्रा में नशीला पदार्थ जब्त किया कि वह व्यावसायिक उद्देश्य के लिए रखा गया था।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इसके अलावा, बड़ी मात्रा में डीआरआई द्वारा जब्त की गई गोलियों में पौरुष शक्ति को बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियां, दवाएं शामिल हैं और ऐसे में एनडीपीएस (मादक पदार्थ पर रोकथाम संबंधी) कानून के प्रावधानों के तहत इस पर कार्रवाई नहीं हो सकती। शीर्ष अदालत ने इस साल जुलाई के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दो अलग-अलग याचिकाओं पर आदेश पारित किया।

मामले में एक याचिकाकर्ता ने निचली अदालत द्वारा अपने पक्ष में दिए गए जमानत आदेश को पलटने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया, वहीं दूसरे याचिकाकर्ता ने अपनी जमानत याचिका को खारिज करने को चुनौती दी थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, डीआरआई की चेन्नई क्षेत्रीय इकाई को मिली गुप्त सूचना के आधार पर अधिकारियों ने चार स्थानों से विभिन्न प्रकार की लगभग 1,37,665 गोलियां जब्त की थीं, जिन्हें नशीली दवाओं के रूप में वर्णित किया गया था।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मोबाइल फोन से डाउनलोड किए गए वाट्सऐप संदेशों के प्रिंटआउट और आरोपी के कार्यालय परिसर से जब्त किए गए उपकरणों के आधार पर इस चरण में उसके और अन्य सह आरोपियों के बीच किसी जुड़ाव को स्थापित करने के लिए पर्याप्त सामग्री के रूप में नहीं माना जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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