पुणे, 17 मार्च पुणे की एक अदालत में माओवादी अरुण भेलके और उसकी पत्नी कंचन नानावड़े के खिलाफ चल रहे एक मामले में आत्मसमर्पण कर चुके 32 वर्षीय नक्सली ने बुधवार को गवाही दी। भेलके और नानावड़े की लंबी बीमारी के बाद इस साल जनवरी में सैसून जनरल अस्पताल में मौत हो गई थी।
महाराष्ट्र के आतंकवाद रोधी दस्ते ने साल 2014 में दंपत्ति को गिरफ्तार किया था। उनपर 'माओवादियों की गोल्डन कॉरिडोर समिति' का सदस्य होने का आरोप था और वे झुग्गियों से लोगों की भर्ती करते थे।
दंपत्ति को गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया था।
गढ़चिरौली का निवासी कृष्णा दोरपटे 12 साल की आयु से माओवादी आंदोलन में शामिल रहा था। साल 2014 में उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
जिला सरकारी याचिकाकर्ता तथा लोक अभियोजक उज्जवला पवार के अनुसार दोरपटे ने अपने बयान में कहा कि जब वह 12 साल की उम्र में आंदोलन में शामिल हुआ था और शीर्ष भगोड़े माओवादी मिलिंद तेलतुम्बड़े ने उसे पदोन्नति देकर संभागीय समिति सदस्य बना दिया था।
लोक अभियोजक ने कहा कि दोरपटे से जब गवाही के दौरान पूछा गया कि क्या वह भेलके को जानता है तो उसने हां में जवाब दिया और अदालत को बताया कि उसे (भेलके) को आंदोलन के दौरान 'राजन' के नाम से जाना जाता था।
पवार ने कहा, ''उसने अदालत को यह भी बताया कि भेलके जंगल में आकर नियमित रूप से तेलतुंबड़े से मिलता था और उसे शहरी इलाकों में आंदोलन की प्रगति के बारे में जानकारी देता था। ''
उन्होंने कहा, ''दोरपटे ने अदालत को यह भी बताया कि भेलके उससे जंगल में उसके प्रशिक्षण के बारे में पूछा करता था।
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