जम्मू: यह सच में हैरानगी की बात है कि पूरे प्रदेश में जब मौसम खलनायक बना हुआ है और बादल व पानी भयानक परिस्थितियां पैदा करते हुए भयानक तबाही मचा रहे हैं, कश्मीरियों को ऐसे में भी मटन की चिंता सताए जा रही है। कश्मीर मटन डीलर्स एसोसिएशन ने श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के बार-बार बंद होने के बाद घाटी में मटन की बाधित आपूर्ति पर चिंता व्यक्त की और आने वाले दिनों में इसकी भारी कमी की चेतावनी दी।
एसोसिएशन के महासचिव मेहराजुद्दीन गनई ने बताया कि राजमार्ग लगभग एक सप्ताह से बंद था और यातायात के लिए केवल आंशिक रूप से ही बहाल किया गया था, जिससे पशुओं की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। मेहराज ने बताया कि अगस्त के अंत, सितंबर और अक्टूबर के ये महीने कश्मीर में शादी के चरम सीजन होते हैं। कई वाहन समय पर नहीं पहुंच पाए और अगर यही स्थिति बनी रही तो घाटी में मटन की भारी कमी हो सकती है।
वे कहते थे कि डीलर आपूर्ति का "आंशिक" प्रबंधन कर रहे हैं, लेकिन व्यवधान का मतलब है कि लोगों को कभी भी अचानक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी पशुपालकों के वाहनों को एक घंटे के लिए आने देते हैं और फिर उसे दो घंटे कर देते हैं। यहां पूरी तरह से कुप्रबंधन है और कभी-कभी ट्रकों को पुंछ, नौशहरा और अन्य जगहों पर रोक दिया जाता है।
मेहराज ने सरकार से फलों से लदे और पशुपालकों के ट्रकों को बिना किसी बाधा के आने-जाने की अनुमति देने का भी आग्रह किया और उन्हें आवश्यक आपूर्ति बताया। वे कहते थे कि सितंबर के सामान्य दिनों में, लगभग 50-70 पशुपालक वाहन प्रतिदिन घाटी में प्रवेश करते हैं। ईद-ए-मिलाद (मेहराज-उन-नबी) भी नजदीक आ रहा है, इसलिए अधिकारियों को मुगल रोड को एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल करने पर विचार करना चाहिए।