भोपाल, 24 मई भारतीय जनता पार्टी द्वारा कोविड-19 महामारी को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के खिलाफ लोगों में भय फैलाने के आरोप में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के एक दिन बाद सोमवार को यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के बीच जुबानी जंग शुरु हो गई।
चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ‘‘इंडियन कोरोना’’ वाले बयान के लिये कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, वहीं दूसरी ओर कमलनाथ ने कहा कि कोई प्राथमिकी उन्हें दबा नहीं सकती है।
इससे पहले, रविवार को भोपाल पुलिस की अपराध शाखा ने भाजपा नेताओं की शिकायत पर कमलनाथ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसमें भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अपनी टिप्पणी के जरिए कोरोना वायरस महामारी को लेकर लोगों में दहशत पैदा कर रहे हैं ।
चौहान ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘क्या मैडम सोनिया गांधी कमलनाथ जी के 'इंडियन कोरोना' वाले बयान से सहमत हैं? आग लगाने का विचार कमलनाथ जी का विचार है या आपकी तरफ से निर्देश दिए गए हैं? अगर कमलनाथ जी अपने मन से यह कह रहे हैं तो आप धृतराष्ट्र बन कर तमाशा क्यों देख रही हैं।’’
एक अन्य ट्वीट में चौहान ने कहा, ‘‘कमलनाथ जी पर मैडम सोनिया गांधी कार्रवाई करें और यदि आप उनके विचारों से सहमत हैं तो देश को अवगत कराएं ताकि जनता को पता चल सके कि कांग्रेस पार्टी की सोच क्या है! हमारी सरकार मध्य प्रदेश में जनता की सेवा में लगी रहेगी और हम किसी भी कीमत पर आग नहीं लगने देंगे!’’
चौहान जाहिर तौर पर भाजपा द्वारा प्रसारित कमलनाथ के एक वीडियो का जिक्र कर रहे थे जिसमें किसानों की समस्याओं पर चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री को कथित रूप से एक व्यक्ति से यह आग लगाने का समय है, कहते हुए सुना जा सकता है। हालांकि, कांग्रेस ने इस वीडियो को फर्जी बताया है।
वहीं, दूसरी और कमलनाथ ने सोमवार को मीडिया को बयान जारी किया। उन्होंने इसमें कहा, ‘‘शिवराज सरकार चाहती है कि मैं चुप रहूं , जनता की आवाज़ ना उठाऊं , उनके हक की लड़ाई ना लड़ूं, लेकिन मै चुप नहीं बैठूंगा , जीवन की आख़िरी सांस तक जनता के हित की लड़ाई लड़ता रहूंगा, कोई एफ़आईआर (प्राथमिकी) मुझे दबा नहीं सकती है।’’
कमलनाथ ने आरोप लगाया, “ संकट की घड़ी में प्रदेश की भाजपा सरकार ने जनता को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। शिवराज सरकार कोविड-19 से हुई मौत के आंकड़ों को छिपा रही है तथा ऑक्सीजन और जरुरी दवाओं के बिना लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी जारी रही जबकि इंजेक्शन सहित जीवन रक्षक दवाओं के अभाव में कई लोगों की मौत हो गई। प्रदेश सरकार ने एक साल के दौरान ऑक्सीजन और अस्पताल में बिस्तरों की व्यवस्था नहीं की।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘जब लोग मुसीबत में हो, चिकित्सा व्यवस्था चरमरा जाती है और लोग मर रहे होते हैं तब शिवराज सरकार चाहती है कि मैं चुप रहूं। भाजपा मुझ पर प्राथमिकी दर्ज कर वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।’’
कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में सिर्फ़ सरकारी आंकड़ों वालों को ही नहीं बल्कि कोरोना से मृत सभी लोगों को अनुग्रह राशि मिले और एक लाख की बजाय पांच लाख रुपये मिलें।
इससे पहले रविवार को भाजपा नेताओं की शिकायत पर पुलिस ने कमलनाथ के खिलाफ भादंसं की धारा 188 एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत यह प्राथमिकी दर्ज की।
भाजपा नेताओं ने अपनी शिकायत में कहा कि कमलनाथ ने 22 मई को उज्जैन में अपनी प्रेस वार्ता में कहा था कि दुनिया में जो कोरोना फैला हुआ है, अब उसे ‘इंडियन वैरियेन्ट कोरोना’ के नाम से जाना जा रहा है।
भाजपा नेताओं का आरोप है कि कोरोना महामारी के ऐसे संकटपूर्ण समय में कमलनाथ यह बोलकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं और देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर रहे हैं।
भाजपा नेताओं ने अपने ज्ञापन में यह भी कहा है कि कमलनाथ ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन किया है। कमलनाथ का यह कृत्य भारतीय दंड विधान के अनुसार राजद्रोह की श्रेणी में आता है।
प्रतिनिधि मंडल ने अपने ज्ञापन में यह भी कहा, ‘‘कमलनाथ ने झूठा आरोप लगाया कि सरकार लाखों लोगों की मौत के आंकड़े छिपा रही है। उनका यह बयान जनता में भय उत्पन्न करने वाला है, जो आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है। ’’
एक अन्य शिकायत में भाजपा नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हित में डीएपी के भाव कम करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया, लेकिन देश के लोगों एवं किसानों तक यह संदेश न पहुंचे, इस उद्देश्य से कमलनाथ द्वारा अपने विधायकों के साथ हुई डिजिटल बैठक में ‘आग लगाने’ की बात कहकर कानून और शांति व्यवस्था को भंग करने का भी दुष्कृत्य किया गया है।
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