मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को यह कहते हुए रिहा कर दिया कि याचिकाकर्ताओं को कानून के अनुसार गिरफ्तार नहीं किया गया है।
कोचर ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वेणुगोपाल धूत के नेतृत्व वाले वीडियोकॉन समूह को दिए गए ऋण में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी "अवैध" थी।
उनके वकील ने कहा था कि गिरफ्तारी चार साल बाद की गई थी और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए का उल्लंघन था, जो जांच अधिकारी को गिरफ्तारी से पहले उपस्थिति का नोटिस जारी करने के लिए बाध्य करती है। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पीके चव्हाण की खंडपीठ ने आज आदेश सुनाया।
आदेश सुनाते हुए अदालत ने कहा कि धारा 41 (ए) लागू नहीं है और गिरफ्तारी से पहले उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि चंदा कोचर की गिरफ्तारी के दौरान कोई महिला कांस्टेबल मौजूद नहीं थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के चव्हाण की खंडपीठ ने कहा, "तदनुसार याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के अनुपालन में नहीं है।" चंदा कोचर और दीपक कोचर के लिए ये बड़ी राहत उनके बेटे की शादी से ठीक पहले आई है। बता दें कि उनके बेटे की शादी 15 जनवरी को है।
सीबीआई ने पिछले साल 23 दिसंबर को कोचर को 2009 और 2011 के बीच वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वितरित 1,875 करोड़ रुपये के ऋण की मंजूरी में कथित अनियमितताओं और भ्रष्ट आचरण से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया था। वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को दो दिन बाद 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
चंदा कोचर जहां भायखला महिला जेल में बंद हैं, वहीं दीपक कोचर और धूत आर्थर रोड जेल में बंद हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कोचर को जमानत देने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की संभावना है। दरअसल, सीबीआई चंदा और दीपक कोचर की जमानत a विरोध कर रही है।