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चमकी बुखार: इलाज के लिए विशेषज्ञों का दल गठित करने की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार

By भाषा | Published: June 19, 2019 3:45 PM

याचिका के अनुसार यह बीमारी हर साल फैलती है और इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है। याचिका में दावा किया गया है कि हर साल इस बीमारी से हजारों बच्चों की मौत हो रही है लेकिन सरकारें इसकी रोकथाम के लिये कुछ नहीं कर रही हैं।

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उच्चतम न्यायालय बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी बुखार) से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए केंद्र सरकार को तत्काल चिकित्सा विशेषज्ञों का दल गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिये सहमत हो गया।

मुजफ्फरपुर में इस बीमारी से अब तक सौ से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिये इसे सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुये कहा कि याचिका पर 24 जून को सुनवाई की जायेगी। याचिका में केन्द्र को इस महामारी से जूझ रहे बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए सभी चिकित्सा उपकरण और अन्य सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। यह याचिका अधिवक्ता मनोहर प्रताप ने दायर की है। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि वह दिमागी बुखार के कारण बीते हफ्ते 126 से ज्यादा बच्चों की मौत से व्यथित हैं।

इनमें ज्यादातर बच्चे एक से दस साल की आयु वर्ग के हैं। याचिका में कहा गया है कि बच्चों की मृत्यु सीधे तौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार तथा केन्द्र सरकार की लापरवाही और निष्क्रियता का नतीजा है।

याचिका के अनुसार यह बीमारी हर साल फैलती है और इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है। याचिका में दावा किया गया है कि हर साल इस बीमारी से हजारों बच्चों की मौत हो रही है लेकिन सरकारें इसकी रोकथाम के लिये कुछ नहीं कर रही हैं।

याचिका में केन्द्र सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह तत्काल चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का एक बोर्ड गठित करे और स्थिति की समीक्षा करने और आपात स्थिति में मदद के लिये उसे मुजफ्फरपुर भेजे।

इसी तरह शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि केन्द्र और बिहार सरकार को इस आपात स्थिति से निबटने के लिये तत्काल पर्याप्त संख्या में सघन चिकित्सा इकाइयां तैनात करने का निर्देश दिया जाये। याचिका में इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिये सभी संभव कदम उठाने और इसकी रोकथाम एवं प्राथमिक उपचार के बारे में जनता में जागरूकता पैदा करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

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