लाइव न्यूज़ :

15 लाख से ऊपर घुसपैठिये?, अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया की मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार के नागरिक, अंतिम प्रकाशन के दौरान हटेंगे

By एस पी सिन्हा | Updated: July 16, 2025 17:06 IST

अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जिलों की मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम पाए गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या 15 लाख से ऊपर होने की संभावना है।

Open in App
ठळक मुद्दे चुनाव आयोग इसपर अभी कुछ भी बोलने को तैयार नही है। कई जिलों से बांग्लादेशियों की संख्या को लेकर रिपोर्ट तलब की है।आयोग अब इनकी पहचान और जांच में जुट गया है।

पटनाः बिहार में चुनाव आयोग के द्वारा कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान कई विदेशी लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल हैं। पुनरीक्षण में यह बात सामने आई है कि बिहार के सीमावर्ती जिलों अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जिलों की मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम पाए गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या 15 लाख से ऊपर होने की संभावना है। हालांकि चुनाव आयोग इसपर अभी कुछ भी बोलने को तैयार नही है। आयोग अब इनकी पहचान और जांच में जुट गया है।

जांच के बाद इन नामों को अंतिम सूची से हटाया जाएगा

इस सूचना के बाद गृह विभाग ने कई जिलों से बांग्लादेशियों की संख्या को लेकर रिपोर्ट तलब की है। वहीं, इस संबंध में पूछे जाने पर बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने यह स्वीकार कि मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए कई लोगों के नाम पाए हैं। उन्होंने बताया कि जांच के बाद इन नामों को अंतिम सूची से हटाया जाएगा।

इनकी संख्या पूछे जाने पर गुंजियाल ने कहा कि इसकी जानकारी अंतिम सूची प्रकाशन के दौरान दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों के नाम 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम चुनावी सूची में शामिल नहीं किए जाएंगे। लेकिन यह फैसला 1 अगस्त 2025 के बाद ठीक से जांच करने के बाद ही लिया जाएगा।

किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया को सीमांचल नाम से पुकारा जाता

ऐसे कितने मतदाताओं की संख्या है, यह बताने में उन्होंने असमर्थता जताते हुए कहा कि जब तक सभी जांच पूर्ण नही कर लिए जाते तब तक सही आंकड़ा बता पाना मुश्किल है। बता दें कि बांग्लादेश और नेपाल की सीमा से सटे बिहार के किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया को सीमांचल नाम से पुकारा जाता है।

लेकिन सीमांचल में अवैध घुसपैठियों के कारण इस इलाके की डेमोग्राफी पूरी तरह बदल गई है। 1951 से 2011 तक देश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी जहां चार प्रतिशत बढ़ी है, वहीं सीमांचल में यह आंकड़ा करीब 16 प्रतिशत है। किशनगंज बिहार का ऐसा जिला है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।

कटिहार एवं अररिया में जिस प्रकार मुस्लिम जनसंख्या में वद्धि

किशनगंज में हितैषियों की आड़ लेकर उस पार बांग्लादेश से चोरी-छिपे घुस आ रहे हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि सरकारी दस्तावेज में भारतीय नागरिक के रूप में उनका नाम-मुकाम भी दर्ज हो जा रहा। इसी आधार पर वे तमाम योजनाओं के हकदार भी बन जा रहे हैं। किशनगंज मुस्लिम बहुल जिला है और कटिहार एवं अररिया में जिस प्रकार मुस्लिम जनसंख्या में वद्धि हो रही है।

उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में ये जिले भी मुस्लिम बहुल हो जाएंगे। कटिहार जिले के बारसोई प्रखंड में 1961 में हिंदू जनसंख्या 43,549 थी, जो 1971 में बढ़ने के बजाय घटकर 40,969 रह गई। अगस्त 1979 में असम में जब बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ वहां के लोगों ने आंदोलन छेड़ा, तब बिहार में भी हो रही घुसपैठ पर यहां के लोगों का ध्यान गया।

किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिलों में मुस्लिम आबादी 38 फीसदी से 68 फीसदी

22 जुलाई, 1981 को बिहार विधानसभा में एक चर्चा में तब जनता पार्टी के विधायक रहे गणेश प्रसाद यादव ने कहा था, ‘पूर्णिया में बांग्लादेशी घुसपैठियों का आना जारी है और वे ऊंची कीमतों पर जमीन खरीद कर बसते जा रहे हैं।’ किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिलों में मुस्लिम आबादी 38 फीसदी से 68 फीसदी तक है।

कुछ लोग मानते हैं कि ज्यादा आधार कार्ड बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए बनाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के इन जिलों में मुसलमानों की आबादी करीब 40 से बढ़कर करीब 70 फीसदी हो गई है। एक समय पूर्णिया से माकपा के पूर्व विधायक अजीत सरकार ने भी बिहार में हजारों की संख्या में घुसपैठियों के आने की बात स्वीकारी थी।

1951 से 2011 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या में 4.31 प्रतिशत की वृद्धि

केंद्र सरकार ने 2020 में जब राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन यानी एनआरसी बनाने की बात कही तब बिहार विधानसभा में एक प्रस्ताव रखा गया कि ‘बिहार में राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन की कोई आवश्यकता नहीं है।’ वर्ष 1951 से 2011 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या में 4.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि संयुक्त पूर्णिया जिले में उनकी आबादी में 13.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

1956 में राज्य पुनर्गठन के बाद कुछ मुस्लिम बहुल प्रखंडों एवं पंचायतों को बंगाल को दे दिया गया। 1961 से 2011 तक के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम जनसंख्या में 3.52 प्रतिशत की वद्धि हुई, पर इस अवधि में पूर्णिया में मुस्लिम जनसंख्या 8.26 प्रतिशत बढ़ी।

चुनाव आयोग की मतदाता सूची की विशेष जांच

यही वजह है कि आज सीमांचल की विधानसभा सीटों की जीत को इंडिया ब्लॉक की सहयोगी आरजेडी और कांग्रेस एक-दूसरे से सीटें छीनने की होड़ में दिख रही हैं, वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी यहां अप्रत्याशित रूप से अपना जनाधार बढ़ाया है। जानकारों की मानें तो चुनाव आयोग की मतदाता सूची की विशेष जांच भी इसी वजह से की जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

मतदाता सूची की जांच का सबसे ज्यादा विरोध राज्य के मुस्लिम इलाकों में हो रहा है। मुस्लिम समुदाय लंबे समय से विपक्षी महागठबंधन का समर्थन करता रहा है। महागठबंधन इस विरोध के बहाने इस समुदाय को एकजुट करना चाहता है। वहीं, सीमांच में बड़े पैमाने पर विदेशी नागरिकों के मिलने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में 20 सालों से और केंद्र में 11 वर्षों से भाजपा-एनडीए सरकार है। अगर कोई विदेशी नागरिक हमारी सीमा में घुसा है तो उसके दोषी प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।

बिहार में कुल 7 करोड़ 90 लाख मतदाता

क्योंकि देश-प्रदेश की सुरक्षा की जिम्मेवारी इन्हीं की है। क्या इन्हीं विदेशियों के बल पर पीएम मोदी बिहार की 40 में से 39, 40 में से 33 लोकसभा सीटें जीतते रहे हैं? क्या इन्हीं विदेशियों के दम पर नीतीश-भाजपा बिहार में 20 वर्षों से कुंडली मारे बैठे हैं? तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखा कि बिहार में कुल 7 करोड़ 90 लाख मतदाता हैं।

कल्पना कीजिए, भाजपा के निर्देश पर अगर मिनिमम एक प्रतिशत मतदाताओं को भी छांटा जाता है, तो लगभग 7 लाख 90 हज़ार मतदाताओं के नाम कटेंगे। यहां हमने केवल एक प्रतिशत की बात की है, जबकि इनका इरादा इससे भी अधिक 4-5 प्रतिशत का है। अगर हम इस एक प्रतिशत को यानि 7  लाख 90 हज़ार मतदाताओं को 243 विधानसभा क्षेत्रों से विभाजित करते है तो प्रति विधानसभा 3251 मतदाताओं का नाम कटेगा। बिहार में कुल 77,895 पोलिंग बूथ है और हर विधानसभा में औसतन 320 बूथ है।

विधानसभा के सभी बूथों से कुल 3200 मत हट जायेंगे

अब अगर एक बूथ से 10 वोट भी हटेंगे, तो विधानसभा के सभी बूथों से कुल 3200 मत हट जायेंगे। अब विगत दो विधानसभा चुनावों के क्लोज मार्जिन से हार-जीत वाली सीटों का आंकड़ा देखें तो 2015 विधानसभा चुनाव में तीन हज़ार से कम मतों से हार-जीत वाली कुल 15 सीटें थी एवं 2020 के चुनाव में 3 हज़ार से कम वोटों से हार-जीत वाली कुल 35 सीटें थी।

अगर 5 हज़ार से कम अंतर से हार-जीत वाली सीटों को गिने तो 2015 में 32 सीटें और 2020 में ऐसी कुल 52 सीटें थी। उन्होंने कहा कि ऐसी ही सीटों के चुनिंदा बूथों, समुदायों और वर्गों के बहाने से ये लोग वोट छांटना चाहते हैं, लेकिन हम सब सतर्क है, हमारे कार्यकर्ता हर जगह हर घर जाकर इनकी बदनीयती का भंडाफोड़ करते रहेंगे। हम लोकतंत्र को ऐसे खत्म नहीं होने देंगे। 

सरकार किसी घुसपैठिये को बिहार में पनाह नहीं लेने

इधर, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि बिहार में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान होगी। सरकार की योजनाओं और संसाधनों पर पहला हक बिहारियों का है। बाहर से आए लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसी घुसपैठिये को बिहार में पनाह नहीं लेने देगी।

अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार को हाई रिस्क जोन

विशेष शाखा की ओर से सरकार को मिली जानकारी के अनुसार बिहार के मुस्लिम बहुल जिलों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी रह रहे हैं। ये लोग यहां के मुस्लिम परिवार में निकाह कर चुके हैं। सर्वाधिक घुसपैठ पूर्वी जिलों में होने की आशंका जताई गई है। अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार को हाई रिस्क जोन माना गया है।

इस बीच कांग्रेस के इस आंकड़े ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि यह संख्या हकीकत से बहुत कम बताई जा रही है। उन्होंने दावा किया कि कम से कम 3 करोड़ से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

एक करोड़ से ज्यादा गैर-पंजीकृत श्रमिक भी बाहर रहते

राजेश राम ने कहा कि राज्य से बाहर काम करने वाले करोड़ों मजदूरों के नाम इस पुनरीक्षण के दौरान बिना उचित प्रक्रिया के मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 2 करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड प्रवासी मजदूर हैं, जो देश के अन्य हिस्सों में रोजगार के लिए गए हैं।

इसके अलावा एक करोड़ से ज्यादा गैर-पंजीकृत श्रमिक भी बाहर रहते हैं, जबकि ये लोग स्थायी रूप से बाहर नहीं गए हैं, सिर्फ काम करने बाहर गए हैं, तो क्या उन्हें मतदाता सूची से हटाना जायज है? आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह नियमबद्ध और पारदर्शी तरीके से की जा रही है और किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से सूची से नहीं हटाया जा रहा।

टॅग्स :चुनाव आयोगबांग्लादेशनेपालबिहारPoliceपटनालालू प्रसाद यादवनीतीश कुमारबिहार विधानसभा चुनाव 2025Bihar Assembly Election 2025
Open in App

संबंधित खबरें

भारतBJP New President News: नड्डा की जगह क्या शिवराज सिंह चौहान बनेंगे भाजपा के नए अध्यक्ष?, भोपाल और दिल्ली आवास पर सुरक्षा बढ़ाई?

भारतछत्तीसगढ़ के 7 जिलों वाले बस्तर संभाग को अगले 5 वर्षों में सबसे विकसित आदिवासी क्षेत्र बनाने का संकल्प, अमित शाह बोले- नक्सलवाद से किसी को फायदा नहीं

भारतPankaj Chaudhary: कौन हैं पंकज चौधरी, महाराजगंज के सांसद जो बनेंगे यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष?

भारततिरुवनंतपुरम नगर निगमः कौन बनेगा मेयर?, दौड़ में ये भाजपा नेता शामिल, देखिए पूरी लिस्ट

भारततिरुवनंतपुरम नगर चुनाव में 50, पलक्कड़ नगरपालिका में 25, कोडुंगल्लूर नगरपालिका में 18, त्रिशूर निगम में 08, गुरुवायूर और वडक्कनचेरी नगरपालिकाओं के 2-2 सीट पर बीजेपी का कब्जा

भारत अधिक खबरें

भारतयात्री ध्यान दें! अब IRCTC से टिकट बुक करने के लिए ये काम करना होगा जरूरी, लागू हुआ नया नियम

भारतVIDEO: राहुल गांधी ने GOAT इंडिया टूर के दौरान उप्पल स्टेडियम में लियोनेल मेस्सी से की मुलाकात

भारतKerala local body polls: केरल निकाय चुनाव में जीत पर कांग्रेस ने कहा- ‘लाल किलों’ के ढहने की हुई शुरुआत

भारतपश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026ः प्रवासन, रोजगार, महंगाई, शासन और विकास नहीं मंदिर-मस्जिद पर होंगे मतदान?, हर दिन साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण तेज

भारतVIDEO: हैदराबाद पहुंचे लियोनेल मेस्सी, 'प्रतिद्वंद्वी' टीम के सदस्य और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी से गर्मजोशी से किया स्वागत